मेंथा की जड़ की खेती से किसानों की किस्मत चमकी, सिर्फ ₹25,000 खर्च में 2.5 लाख रुपये की कमाई, जानिए पूरी प्रक्रिया"

मेंथा की जड़ की खेती से जबरदस्त कमाई

अगर छोटे किसान एक बीघा में भी इसकी खेती करें तो सिर्फ ₹5,000 के खर्च में करीब ₹62,000 से ज्यादा का मुनाफा कमा सकते हैं। यानी कम खर्च में ज्यादा फायदा। यही वजह है कि अब धीरे-धीरे किसान इस फसल की ओर रुख कर रहे हैं।
खेती का तरीका और सही समय
मेंथा की जड़ की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह तैयारी करनी होती है। खेत में गोबर की पुरानी सड़ी खाद मिलाना जरूरी है ताकि मिट्टी में नमी और पोषण बना रहे। फरवरी से मार्च के बीच में इसकी बुवाई सबसे उपयुक्त समय होता है।
पौधों को एक फीट की दूरी पर लगाना चाहिए ताकि जड़ों का विकास सही ढंग से हो सके। यह फसल लगभग 4 से 5 महीने में तैयार हो जाती है। जब जड़ें मोटी हो जाती हैं तो इन्हें खोदकर बाजार में बेच दिया जाता है। अगर देर से बुवाई की जाए तो उत्पादन थोड़ा कम मिल सकता है, इसलिए 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच बुवाई करना सबसे बेहतर माना जाता है।
एक एकड़ में 4 से 5 क्विंटल जड़ों की जरूरत पड़ती है। यह फसल सिंचाई और देखभाल के मामले में ज्यादा मुश्किल नहीं है, बस समय-समय पर खेत की निगरानी करनी होती है।
मेंथा की जड़ का उपयोग और बाजार मांग
मेंथा की जड़ का उपयोग कई औषधीय उत्पादों में किया जाता है। यह सिरदर्द, मांसपेशियों के दर्द और पाचन से जुड़ी समस्याओं में बहुत फायदेमंद होती है। औषधि कंपनियां इसे बड़ी मात्रा में खरीदती हैं क्योंकि इससे बनने वाली दवाओं और तेलों की मांग पूरे साल बनी रहती है।
इसके अलावा मेंथा की जड़ का उपयोग एक नई फसल तैयार करने के लिए भी किया जाता है। यानी इसकी मांग सिर्फ दवा उद्योग में ही नहीं बल्कि खेती के क्षेत्र में भी लगातार बढ़ रही है। कई बार ग्राहक खुद खेतों तक आकर खरीददारी कर लेते हैं।
किसानों के लिए सुनहरा मौका
किसान भाइयों, अगर आप खेती में नया प्रयोग करना चाहते हैं और कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा पाना चाहते हैं तो मेंथा की जड़ की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह फसल न केवल औषधीय महत्व रखती है बल्कि मार्केट में इसकी कीमत भी लगातार बढ़ रही है। आने वाले समय में यह खेती किसानों की आमदनी को दोगुना करने का मजबूत जरिया साबित हो सकती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी किसानों और कृषि विशेषज्ञों से प्राप्त अनुभवों के आधार पर दी गई है। खेती शुरू करने से पहले अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी या विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
