पान मसाला-तंबाकू पर महंगा होगा टैक्स! स्वास्थ्य व सुरक्षा के लिए सरकार लाई नया उपकर
GST: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि प्रस्तावित ‘स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर’ केवल पान मसाला जैसी हानिकारक और डिमैरिट वस्तुओं पर लगाया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि आटा, दाल, चावल, दहीं या अन्य आवश्यक खाद्य पदार्थों को इससे पूरी तरह बाहर रखा जाएगा।
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पान मसाला टैक्स गणित: उत्पादन क्षमता पर तय होगी देनदारी
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि पान मसाला पर जीएसटी की अधिकतम दर 40% निर्धारित होगी। इसके ऊपर इस नए उपकर की वसूली होगी। उन्होंने बताया कि चूंकि पान मसाला खपत-आधारित कर व्यवस्था में आता है, इसलिए उपकर को फैक्ट्रियों की उत्पादन क्षमता के मुताबिक तय किया जाएगा। हर प्लांट के लिए देनदारी उसकी मशीनों की क्षमता के अनुसार अलग-अलग होगी।
राज्यों को मिलेगा राजस्व का हिस्सा-स्वास्थ्य योजनाओं को होगा लाभ
सीतारमण ने कहा कि नए उपकर से मिलने वाला राजस्व केंद्र के पास ही नहीं रुकेगा, बल्कि इसका एक हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। यह राशि स्वास्थ्य जागरूकता, कैंपेन, चिकित्सा सुविधाओं और स्वास्थ्य परियोजनाओं में राज्यों के इस्तेमाल के लिए दी जाएगी।
जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर खत्म-नई व्यवस्था की जरूरत क्यों पड़ी?
जीएसटी लागू हुए 5 साल पूरे होने पर क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होने वाला है। कोविड काल में केंद्र द्वारा लिए गए ₹2.69 लाख करोड़ के कर्ज की अदायगी पूरी होने के बाद इसका विस्तार मार्च 2026 से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
वर्तमान में पान मसाला व तंबाकू पर 28% जीएसटी + क्षतिपूर्ति उपकर लगता है।
उपकर समाप्त होने के बाद इन वस्तुओं पर जीएसटी सीधे 40% हो जाएगा और तंबाकू पर अलग से उत्पाद शुल्क तथा पान मसाला पर यह नया स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर लागू होगा।
तंबाकू उत्पादों पर भी बढ़ेगा वित्तीय दबाव
लोकसभा ने बुधवार को केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1944 में संशोधन पारित किया है, जिसके बाद तंबाकू पर 40% जीएसटी के अलावा उत्पाद शुल्क भी लगाया जाएगा। सरकार का उद्देश्य स्वास्थ्य पर भार डालने वाले उत्पादों को अधिक महंगा बनाना और उनकी खपत को हतोत्साहित करना है।
