ग्वालियर की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की, ‘स्वयं सिद्धा’ संस्था बना सहारा

Madhya Pradesh News: ग्वालियर में ‘स्वयं सिद्धा’ संस्था महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर काम कर रही है। कोरोना काल में शुरू हुई इस संस्था से अब तक 350 महिलाएं जुड़ चुकी हैं। ये महिलाएं महाराष्ट्रीयन, गुजराती और पंजाबी व्यंजन तथा हस्तशिल्प उत्पाद बनाकर उन्हें देश और विदेश में बेच रही हैं। संस्था महिलाओं को उत्पादन में मदद करती है और बाजार उपलब्ध कराती है, वह भी बिना किसी कमीशन के।
संस्थान का उद्देश्य: व्यक्तित्व विकास और आत्मनिर्भरता
संस्था का कोई कमीशन न लेना महिला सदस्यों के लिए बड़़ा फायदा
महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘स्वयं सिद्धा’ संस्था महिलाओं को न केवल उत्पादन में सहायता करती है बल्कि उन्हें मार्केट भी उपलब्ध कराती है। इसके बदले में संस्था महिला सदस्यों से कोई कमीशन नहीं लेती, जिससे उत्पादन से लेकर मुनाफा तक महिलाओं का पूर्ण अधिकार होता है। आज इन महिलाओं के उत्पाद आस्ट्रेलिया, जापान, दुबई, इटली, जर्मनी और अमेरिका तक पहुंच चुके हैं।
संस्थान की शुरुआत आंवले के उत्पादों से
संस्था की महिला सदस्यों को ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालय में आंवले की प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण मिला। महिलाओं ने आंवले की धुलाई, छंटाई, कटाई, गूदा, रस, पाउडर और कैंडी, अचार, च्यवनप्राश, जूस, कास्मेटिक उत्पाद बनाने का तरीका सीखा। इसके साथ ही उन्हें मानकीकरण और पाश्चुरीकरण की भी ट्रेनिंग दी गई।
प्रशासनिक आदेश और पहली चुनौती
दीपावली से पहले जिला प्रशासन से महिला सदस्यों को पहला आर्डर मिला। हर महिला ने 10-10 किलो की मात्रा में व्यंजन तैयार किए। अचानक कोरोना गाइडलाइन के कारण आर्डर रद्द कर दिया गया। निराशा के बावजूद महिलाओं ने बैजाताल में स्टॉल लगाकर उत्पाद बेचे, और दीपावली पर उनका सामान हाथों-हाथ बिक गया।
महिलाओं के व्यंजन और हस्तशिल्प की विदेशों में भी मांग
संस्था से जुड़ी महिलाओं का पूरा माह व्यस्त रहता है। वे ऋतुओं और त्योहारों के अनुसार अचार, पापड़, बाखरबड़ी, खमण-ढोकला, गुजिया, मठरी, नमकीन, पूरनपोली और गुड़ की रोटी बनाती हैं। सभी सदस्य एक ही रसोई में एक-दूसरे का हाथ बंटाते हुए उत्पाद तैयार करती हैं, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता और तेजी बनी रहती है।