गुजरात के डाकोर जी मंदिर में अनोखी परंपरा - मंदिर खुलते ही भक्तों ने लूटा 3000 किलो प्रसाद, 10 मिनट में खत्म हुआ ‘अन्नकूट’!


आस्था और उत्साह का संगम

80 गांवों से जुटते हैं हजारों श्रद्धालु
इस धार्मिक आयोजन में सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि करीब 80 गांवों के श्रद्धालु शामिल होते हैं। सभी भक्त इस “अन्नकूट लूट उत्सव” का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से डाकोर पहुंचते हैं। भीड़ इतनी विशाल होती है कि पुलिस बल और सुरक्षा व्यवस्था पहले से तैनात रहती है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। इस साल भी जब मंदिर के कपाट दोपहर 2:30 बजे खोले गए, तो कुछ ही मिनटों में पूरा प्रसाद लूट लिया गया।
10 मिनट में खत्म हुआ 3000 किलो प्रसाद
मंदिर के पुजारियों के अनुसार, इस वर्ष भगवान कृष्ण को समर्पित 3000 किलोग्राम से अधिक अन्नकूट प्रसाद तैयार किया गया था। इसमें बूंदी, चावल, मिठाई, फल और सूखे मेवे जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया। लेकिन जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, भक्तों ने महज 10 मिनट में पूरा प्रसाद लूट लिया। यह नजारा हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धा और उमंग से भरपूर था।
भक्ति और परंपरा का प्रतीक
रणछोड़राय मंदिर, जिसे डाकोर जी मंदिर भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण को समर्पित है। “रणछोड़” का अर्थ होता है - युद्ध छोड़ने वाला, जो कृष्ण जी के द्वारका लौट आने की कथा से जुड़ा है। यह मंदिर गुजरात के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
परंपरा के पीछे की मान्यता
स्थानीय लोगों का मानना है कि अन्नकूट लूटने की परंपरा भगवान के प्रति श्रद्धा और समानता की भावना को दर्शाती है। यहां कोई ऊँच-नीच या वर्ग भेद नहीं होता — हर कोई, चाहे गरीब हो या अमीर, एक साथ प्रसाद पाने की दौड़ में शामिल होता है। यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और आस्था का उत्सव भी है।