बदरीनाथ की स्वच्छता से आत्मनिर्भरता तक की उड़ान - कूड़ा बेचकर नगर पंचायत की 1 करोड़ 7 लाख से अधिक की आय, ईको शुल्क से हुई कमाई दोगुनी
Uttarkhand News: बदरीनाथ नगर पंचायत ने पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। हेलीकॉप्टर से ईको-टूरिज्म शुल्क वसूलने वाली यह देश की पहली पंचायत बन गई है। नगर क्षेत्र में पर्यावरण मित्रों को तैनात कर यात्राकाल के दौरान एकत्र किए गए कूड़े को मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर भेजा जाता है, जहाँ इसकी छंटाई और कॉम्पैक्टिंग होती है। इसी प्रक्रिया से पंचायत ने यात्राकाल में 7.54 लाख रुपये की कमाई की है।
कूड़ा बना कमाई का जरिया
कचरे के निस्तारण में दिखा बदरीनाथ मॉडल का कमाल
हर वर्ष छह महीने चलने वाले बदरीनाथ धाम के यात्रा काल में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन को आते हैं। इतने बड़े पैमाने पर आने वाले यात्रियों के कारण प्लास्टिक और अन्य कचरे का निस्तारण नगर पंचायत के लिए बड़ी चुनौती थी। वर्ष 2021 में इस चुनौती से निपटने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई, जिसके तहत नगर पंचायत ने ईको शुल्क प्रणाली शुरू की और कूड़ा प्रबंधन के लिए अतिरिक्त संसाधन लगाए।
प्लास्टिक से कमाई और जैविक कचरे से खाद का उत्पादन
वर्तमान में नगर पंचायत ने निस्तारण कैंप में दो प्लास्टिक कॉम्पैक्टर और एक ऑर्गेनिक वेस्ट कन्वर्टर स्थापित किए हैं। प्लास्टिक कचरे को पुनर्चक्रण के लिए बेचा जा रहा है, जबकि जैविक कचरे से खाद तैयार की जा रही है। यह खाद स्थानीय स्तर पर तुलसी वन और धाम के आस-पास के पौधों में उपयोग की जा रही है। खाद उत्पादन के लिए 12 कंपोस्टिंग पिट बनाए गए हैं और 15 कर्मचारियों को इस प्रक्रिया में नियुक्त किया गया है
ईको शुल्क से अब तक 1.10 करोड़ की आय
ईको पर्यटन शुल्क की वसूली पहले कर्मचारियों के माध्यम से होती थी, लेकिन अब नगर पंचायत ने फास्टैग बैरियर सिस्टम लागू किया है। शुल्क के तहत चौपहिया वाहनों से 60, टेंपो ट्रैवलर से 100, बसों से 120 और हेलीकॉप्टर से प्रति फेरा 1,000 वसूले जा रहे हैं। 4 मई को कपाट खुलने के बाद से अब तक इस मद में 1 करोड़ 10 हजार रुपये की आय दर्ज की जा चुकी है। यह मॉडल अन्य धार्मिक स्थलों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रहा है।
