"सच्ची प्रार्थना की शक्ति: आत्मशुद्धि, सद्गुण और मोक्ष की ओर एक मार्ग"

हम परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि वह हमें अशुभ कर्मों से हटाकर शुभ आचरण युक्त कर्मों को करने के लिए प्रेरित करें, अविद्या के अंधकार से निकालकर सत्य विद्या का ज्ञान कराये। हमारी दरिद्रता को दूर कर धन ऐश्वर्य की कृपा कीजिए। हम किसी के दोषों को न देखें, बल्कि सद्गुणी व्यक्तियों के सद्गुणों को ग्रहण करें। किसी का बुरा न करे, जितना बन सके अच्छा ही करे। काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईष्र्या तथा अहंकार से दूर रहें। हम ऐसे कार्यों से प्रेरित हो जो आवागमन से छुड़ोकर मोक्ष को प्राप्त कराये, किन्तु मनुष्य की प्रार्थना परमात्मा तभी सुनता है कि जब मनुष्य जिस बात की प्रार्थना करता है उसे हृदय से उसी मार्ग को अपनाये। प्रार्थना यह करे कि मुझे दुर्गुण दुव्यर्सनों से दूर करे और स्वयं अपने दुर्गुणों को दूर करने का प्रयास न करे तो ऐसे व्यक्ति की प्रार्थना भगवान नहीं सुनेगा। परमात्मा की कृपाओं के लिए स्वयं में पात्रता पैदा करे, तभी उनकी कृपाओं के लिए आशा करे। ऐसी प्रार्थना कभी नहीं करनी चाहिए जो आपके स्तर से असम्भव हो। ऐसी प्रार्थना परमात्मा भी नहीं सुनेगा। जैसे 'हे परमेश्वर आप मेरे शत्रुओं का नाश कर दे, मुझे सबसे बड़ा बना दे, मेरी ही प्रतिष्ठा हो, मेरे ही अधीन सब हो जाये, क्योंकि ऐसी प्रार्थना सभी करने लगे तो प्रार्थना सुनी जाये ऐसा असम्भव है।