घर की शान बढ़ाता है सुरूचिपूर्ण फर्नीचर

-सारिका
अच्छा फर्नीचर घर की जान और शान माना जाता है और आपके ‘टेस्ट‘ को दर्शाता है कि आप अपने घर
के प्रति कितने सजग हैं। यदि आप फर्नीचर खरीदते या बनवाते हैं तो कुछ विशेष बातों को ध्यान में
रखकर फर्नीचर खरीदें या बनवायें।
यदि आप दोनों कामकाजी हैं और आपका एकल परिवार है तो फर्नीचर हल्का रखें क्योंकि कामकाजी लोगों
के पास फर्नीचर को मेनटेन करने के लिए उचित समय नहीं होता। आगे बच्चों का भी घर में प्रवेश
होना है, इस बात को ध्यान में रखें।
अधिक नक्काशीदार भारी भरकम फर्नीचर घर को भारी बना देता है जो आज के समय की मांग नहीं है
क्योंकि घर छोटे होते हैं।
नौकरी तबादले वाली है तो फर्नीचर ऐसा खरीदें जिससे शिफ्टिंग में अधिक तकलीफ न हो, न ही टूट फूट
हो। ऐसे में बेंत, प्लास्टिक या आयरन वाला हल्का फर्नीचर खरीदें। कांच लगे टेबल, शोकेस, पलंग आदि
न खरीदें।
आप अपना नया घर खरीद या बनवा रहे हैं तो पर्याप्त समय होने पर कुशल कारीगर से अपनी इच्छा और
आवश्यकतानुसार फर्नीचर बनवायें। कारीगर से घर पर बनवाया फर्नीचर अधिक टिकाऊ होता है।
पूरे घर का फर्नीचर बनवाने और लेने से पूर्व ‘इंटीरियर डेकोरेटर‘ से सलाह जरूर ले लें।
फर्नीचर अच्छी दुकान या शोरूम से खरीदें। बड़े शहरों में डिजाइनर फर्नीचर के काफी शोरूम होते हैं।
फर्नीचर जल्दी में न खरीदें। सोच समझ कर कुछ दुकानों से डिजाइन आदि अच्छी तरह देख लें और दामों
में तुलना कर खरीदें।
फर्नीचर जहां से भी खरीदें, उसकी पालिश और गुणवत्ता की गारंटी की जानकारी भी अवश्य लें।
फर्नीचर खरीदने से पूर्व परिवार के सदस्यों से बातचीत कर फर्नीचर खरीदें या उनको दिखा कर आर्डर करें।
केवल फैशन वाले फर्नीचर खरीदने का फैसला न करें। उसकी गुणवत्ता और उपयोगिता को अवश्य ध्यान में
रखें।
दूसरों की नकल न करें। अपनी आवश्यकता और जगह को ध्यान में रखकर खरीदें।
पुराना फर्नीचर किसी कबाड़ी से न खरीदें। पता नहीं उसकी लकड़ी और लोहा कैसा हो? ऐसे दुकानदार रंग,
रोगन और पालिश से फर्नीचर को चमकदार बना कर बेचते हैं।
किसी एम्बेसी की सेल से या कोई ट्रांसफर केस होने पर आप पुराना फर्नीचर उनसे खरीद सकते हैं। इसमें
धोखे के मौके कम होते हैं।
अपना फर्नीचर बनवाते समय ध्यान रखें कि पालिश करवाने से पहले कीटाणुनाशक दवा का छिड़काव करवा
दें ताकि लकड़ी के फर्नीचर को दीमक या कीड़ा आसानी से न लगे। लोहे के फर्नीचर पर पहले प्राइमर
लगवा लें ताकि जल्दी जंग न लग सके। (उर्वशी)
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