10 वर्षों में बिजनौर जिले के पांच गांवों से 460 गांवों में पहुंच गया गुलदार, वनों से गांवों की ओर बढ़ा सफर

Bijnor News: बिजनौर जिले में गुलदारों की आबादी बीते एक दशक में हैरान करने वाली रफ्तार से बढ़ी है। वर्ष 2015 में जहां गुलदार सिर्फ 5 गांवों में देखे जाते थे, वहीं अब 460 गांवों के खेतों में इनकी मौजूदगी दर्ज की जा रही है। गन्ने के खेत गुलदारों के पसंदीदा ठिकाने बन चुके हैं, जहां उन्हें भरपूर शिकार और सुरक्षा मिली। वन विभाग इनके लगातार बढ़ते कुनबे को नियंत्रित करने के लिए 610 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजने की तैयारी कर रहा है।
वनों से गांवों की ओर बढ़ा गुलदार का सफर

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का सर्वे रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
सहायक वन संरक्षक ज्ञान सिंह की पहल पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की टीम ने गुलदारों की मूवमेंट और व्यवहार का विस्तृत सर्वे किया। रिपोर्ट में साफ हुआ कि गुलदार न केवल गांव बल्कि आसपास के कस्बों तक आ रहे हैं। वन्यजीव-मानव संघर्ष को रोकने के उपायों की अनुमानित लागत 610 करोड़ रुपये बताई गई है।
इलेक्ट्रिक फेंसिंग और खाई से बनेगा नियंत्रण का घेरा
सर्वे के सुझावों में जिले के छह वन रेंजों के चारों ओर इलेक्ट्रिक फेंसिंग और गहरी खाई खोदकर ट्रैंच लगाने की सलाह दी गई है। साथ ही वन क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता बढ़ाने और स्टाफ की संख्या में वृद्धि की बात भी कही गई है।
नसबंदी से नियंत्रित होगा गुलदारों का कुनबा
बीते वर्षों में सुरक्षा और भरपूर शिकार के कारण गुलदार तेजी से बढ़े हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि पकड़े गए गुलदारों की नसबंदी कर उन्हें रेस्क्यू सेंटर में रखा जाए या वापस जंगल में छोड़ा जाए, ताकि जनसंख्या वृद्धि को काबू में लाया जा सके।
अधिकारियों के बयान से तय होती रणनीति
ज्ञान सिंह, सहायक वन संरक्षक ने बताया कि गुलदारों की आदतों को समझने और हमलों को रोकने के लिए सतर्कता बेहद जरूरी है। वहीं डीएफओ अभिनव राज ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर शासन को प्रस्ताव भेजा गया है और संघर्ष कम करने के प्रयास जारी हैं।