उप्र :आईएएस अधिकारियों का वीआरएस की ओर बढ़ता रुझान चिंता का विषय..एक दर्जन छोड़ चुके सेवा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा लगातार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस ) और इस्तीफा दिए जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल के वर्षों में करीब एक दर्जन आईएएस अधिकारी सेवा छोड़ चुके हैं और आने वाले महीनों में इस संख्या के और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
ताजा मामला वर्ष 2004 बैच की आईएएस अधिकारी अनामिका सिंह का है, जिन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि उनका आवेदन प्रक्रियाधीन है। अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि अनामिका सिंह ने हाल के दिनों में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए कोई आवेदन नहीं किया था।
हालांकि, प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश कैडर के कई आईएएस अधिकारियों में केंद्र में कम प्रतिनिधित्व को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। अधिकारियों का दावा है कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए भेजे गए कई प्रस्तावों को राज्य सरकार की ओर से मंजूरी नहीं मिल रही है और केंद्र में इम्पैनलमेंट की प्रक्रिया भी कठिन होती जा रही है।
हाल ही में 1995 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमोद कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले वीआरएस लेने वालों में विकास गोठलवाल (2003), विद्या भूषण (2008), जी श्रीनिवासुलु (2005), राजीव अग्रवाल (1993), मोहम्मद मुस्तफा (1995), रिगजिन सैंफेल (2003), रेनुका कुमार (1987) और जुथिका पाटणकर (1988) शामिल हैं। राकेश वर्मा और आरपी सिंह भी सेवा छोड़ चुके हैं।
वहीं, 2011 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह ने हाल ही में इस्तीफा दिया है। उल्लेखनीय है कि जी श्रीनिवासुलु ने बाद में अपना वीआरएस आवेदन वापस लेकर पुनः सेवा जॉइन कर ली थी।
एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के अनुसार, “ हाल के महीनों में जिन अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति मिली, उनमें से अधिकांश की पोस्टिंग वाराणसी या अयोध्या जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर रही थी। इन पदस्थापनों के दौरान केंद्र के साथ बेहतर समन्वय बनने से उनके चयन की संभावना बढ़ी।”
एक अन्य अधिकारी ने कहा, “हम नियमित रूप से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन राज्य कैडर में कमी का हवाला देकर राज्य सरकार अनुमति नहीं देती। इस स्थिति में करियर ग्राफ ठहर सा गया है, जो बेहद निराशाजनक है।” इस बीच, उत्तर प्रदेश आईएएस एसोसिएशन, जो पहले कैडर से जुड़े मुद्दों को सरकार के समक्ष उठाती रही है, ने इस विषय पर किसी सार्वजनिक मंच पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बीते कुछ वर्षों से एसोसिएशन अपनी ‘सर्विस वीक’ भी आयोजित नहीं कर पाई है, जो अधिकारियों के लिए अपनी समस्याएं रखने का एक महत्वपूर्ण मंच हुआ करता था।
वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि पहले ‘सर्विस वीक’ के दौरान होने वाली आईएएस एसोसिएशन की वार्षिक आम बैठक में अधिकारी खुलकर अपनी बातें रखते थे, लेकिन अब यह सब अतीत की बात होती जा रही है। इस मामले में राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों, जिनमें मुख्य सचिव एस पी गोयल और प्रमुख सचिव (नियुक्ति) एम देवराज शामिल हैं। हालाकि इस मामले को लेकर आला अधिकारी अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।
