अब्दुल्ला आज़म को दोहरा कानूनी झटका: पासपोर्ट केस में भी सात साल की सजा, जुर्माना लगते ही बढ़ी मुश्किलें
Abdullah azam passport case: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खां के बेटे और रामपुर के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म को दो पासपोर्ट मामले में बड़ा कानूनी झटका लगा है। एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें सात साल की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इससे पहले वह दो पैन कार्ड मामले में भी सात साल की सजा काट रहे हैं। शुक्रवार को कोर्ट ने उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश कर फैसला सुनाया।
विधायक आकाश सक्सेना ने लगाया था गंभीर आरोप
सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत
अब्दुल्ला आज़म ने इस मुकदमे को निरस्त कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निचली अदालत में सुनवाई दोबारा शुरू हुई और आखिरकार शुक्रवार को कोर्ट ने कड़ा फैसला सुनाते हुए उन्हें दोषी करार दे दिया।
विरोधाभासी दस्तावेजों पर कोर्ट ने जताई आपत्ति
शिकायत में कहा गया था कि अब्दुल्ला आज़म के शैक्षिक प्रमाणपत्र हाईस्कूल, बीटेक और एमटेक सभी में उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज है, जबकि विवादित पासपोर्ट संख्या Z4307442 में जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज है।
इन विरोधाभासी विवरणों का उपयोग उन्होंने विदेश यात्रा, व्यावसायिक गतिविधियों, पहचान प्रमाण, और विभिन्न पदों के आवेदन में किया। अभियोजन पक्ष ने इसे स्पष्ट रूप से असत्य जानकारी देकर अनुचित लाभ लेने का प्रयास बताया।
IPC और पासपोर्ट अधिनियम की धाराओं में अपराध सिद्ध
आरोप सिद्ध होने के बाद कोर्ट ने माना कि अब्दुल्ला आज़म ने असत्य विवरण और कूट रचित दस्तावेजों का उपयोग कर पासपोर्ट बनवाया, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का उपयोग) तथा पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12(1)(a) के तहत दंडनीय अपराध है।
अदालत के फैसले के बाद बढ़ी राजनीतिक हलचल
कोर्ट के इस फैसले के बाद रामपुर की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रही है, जबकि विपक्ष इसे “कानून की जीत” बता रहा है। अब्दुल्ला आज़म की कानूनी टीम इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील की तैयारी कर रही है।
