Amroha News: पंडित गंगासरन शर्मा के अनुसार, शरद पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में अत्यंत विशेष स्थान है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलहों कलाओं से पूर्ण होता है और माना जाता है कि उसकी किरणों से अमृत बरसता है। यही कारण है कि इस रात्रि को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है।
खुले आसमान में खीर रखने की परंपरा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात लोग खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखते हैं। चांदनी की किरणों के स्पर्श से खीर में औषधीय गुण समाहित हो जाते हैं। अगली सुबह इस खीर का सेवन प्रसाद के रूप में किया जाता है, जिसे स्वास्थ्यवर्धक और शुभ माना जाता है।
चंद्रमा की सोलह कलाओं से झरता है आरोग्य का आशीर्वाद
शास्त्रों में कहा गया है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। उसकी किरणों में औषधीय ऊर्जा और मानसिक शांति का प्रभाव होता है। माना जाता है कि इस रात की चांदनी में बैठने से तन और मन दोनों को शीतलता और सुकून प्राप्त होता है।
पुलिस प्रशासन ने भी रखी चौकसी
प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात घाटों और धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे। गोताखोरों और पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया गया ताकि श्रद्धालु बिना किसी भय के पूजा-अर्चना कर सकें।