प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फर्रुखाबाद के अधिवक्ता के घर में पुलिस द्वारा पत्नी, बेटे व नौकर से मारपीट और तोड़-फोड़ मामले में जवाब मांगा है। साथ ही अधिवक्ता अवधेश मिश्र की फतेहगढ़ कोतवाली में गत 11 अक्टूबर को दर्ज किए गए मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर एवं न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने फर्रुखाबाद के अधिवक्ता अवधेश मिश्र की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह व प्रशांत सिंह रिंकू को सुनकर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए रविवार को विशेष खंडपीठ ने अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई की।
सीनियर एडवोकेट अमरेंद्र नाथ सिंह, अधिवक्ता प्रशांत सिंह व संतोष कुमार पांडेय के द्वारा कोर्ट को बताया गया कि याची के खिलाफ पुलिस अधीक्षक फर्रुखाबाद आरती सिंह के इशारे पर दुर्भावनापूर्ण तरीके से एफआईआर दर्ज की गई है। क्योंकि इस न्यायालय ने जिस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में एसपी व अन्य पुलिस अधिकारियों को तलब किया, याची उस मामले में पीड़ित परिवार का अधिवक्ता है।
सीनियर एडवोकेट ने बताया कि एफआईआर में अधिवक्ता के खिलाफ यह मामला बनाया गया है कि उसने मुकदमा अपराध संख्या 448 ऑफ 2020 के आरोपित से पांच लाख रुपये की मांग की थी ताकि उक्त मामले की पीड़िता मुकदमे में नामजद आरोपित के पक्ष में गवाही दे। अधिवक्ता ने कहा कि यह एफआईआर पुलिस अधीक्षक को तलब करने वाले आदेश के ठीक दो दिन बाद दर्ज की गई है, जो इसकी दुर्भावनापूर्ण प्रकृति को स्पष्ट रूप से दर्शाती है और इसके बाद की गई कार्रवाई और भी अधिक स्पष्ट है। पुलिस अधीक्षक ने इसी एफआईआर के आधार पर 100 कांस्टेबलों के साथ याची के आवास पर छापा मारा और उसकी पत्नी, बेटे व नौकर को पीटा तथा घरेलू सामान को नुकसान पहुंचाया।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उपस्थित अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम दीपक मिश्र और विपक्षी अजय चौहान के अधिवक्ता विनोद कुमार श्रीवास्तव को 29 अक्टूबर तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है। कोर्ट ने विपक्षी संख्या तीन को नोटिस जारी करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्रुखाबाद के माध्यम से 48 घंटों के भीतर उन्हें तामील कराने को कहा। साथ ही रजिस्ट्रार अनुपालन को निर्देश दिया कि इस आदेश को पुलिस अधीक्षक फर्रुखाबाद और कोतवाली फतेहगढ़ के प्रभारी निरीक्षक को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्रुखाबाद के माध्यम से तुरंत सूचित करें।