"सहमति से बने शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं कहे जा सकते, यदि महिला जानती थी कि विवाह संभव नहीं है" - इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेम संबंधों और सहमति से बने शारीरिक संबंधों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई महिला यह जानती है कि सामाजिक कारणों से विवाह संभव नहीं है, और इसके बावजूद वर्षों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाए रखती है, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
पहले विशेष SC-ST अदालत ने यह कहते हुए परिवाद खारिज कर दिया कि मामला दुष्कर्म का नहीं बनता। इसके खिलाफ महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। आरोपी ने कोर्ट में बताया कि पीड़िता ने स्वयं पुलिस को लिखा था कि उसे किसी कार्रवाई की इच्छा नहीं है, और जब उसने 2 लाख रुपये वापस मांगे, तभी उसने केस दर्ज कराया।
जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ ने सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद पीड़िता की अर्जी खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा कि "यदि कोई महिला यह जानते हुए कि सामाजिक कारणों से विवाह संभव नहीं है, फिर भी वर्षों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाती है, तो यह दुष्कर्म नहीं माना जा सकता।"