मुजफ्फरनगर। गन्ने के खेतों और व्यापार की पहचान रखने वाला मुजफ्फरनगर अब एक और पहचान से बदनाम हो रहा है नशे का अड्डा। पुलिस की हर रोज की छापेमार कार्रवाई यह साबित करती है कि जिले में मादक पदार्थों की तस्करी का जाल कितना गहराई तक फैला हुआ है। ‘ऑपरेशन सवेरा’ के तहत रोजाना तस्कर पकड़े जा रहे हैं, बरामदगियां हो रही हैं, मगर यह सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा। सवाल यह है कि आखिर जिले की सड़कों, गांवों और कस्बों तक नशा कैसे इतनी आसानी से पहुंच रहा है और इस कारोबार के पीछे कौन-सा नेटवर्क काम कर रहा है?
पिछले एक महीने में भारी बरामदगी
अगस्त महीना पुलिस के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण और नशा कारोबारियों के लिए भयावह साबित हुआ। आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ इसी महीने में पुलिस ने अलग-अलग जगहों से 3 किलो से अधिक चरस, अफीम, गांजा और स्मैक बरामद कर कई तस्करों को जेल भेजा।
• 05 अगस्त : कवाल क्षेत्र से 1.2 किलो गांजा पकड़ा गया।
• 12 अगस्त : मीरापुर पुलिस ने 320 ग्राम चरस बरामद की।
• 18 अगस्त : बुढ़ाना पुलिस ने 850 ग्राम अफीम के साथ तीन अभियुक्तों को पकड़ा।
• 24 अगस्त : मंसूरपुर में 145 ग्राम स्मैक मिली।
• 29-30 अगस्त : पुरकाजी और शाहपुर पुलिस ने दो तस्करों को दबोचकर 702 ग्राम चरस और अफीम बरामद की।
यह आंकड़े बताते हैं कि नशे की जड़ें केवल शहर तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि गांव-गांव तक इसका असर फैल चुका है।
दो ताजा गिरफ्तारियां और खुलासा
थाना पुरकाजी पुलिस ने चेकिंग के दौरान नौशाद उर्फ सोनू (निवासी हरिद्वार) को दबोचा। उसके पास से 116 ग्राम चरस, 77 हजार रुपये नकद और एक स्पलैण्डर बाइक बरामद की गई।
वहीं शाहपुर पुलिस ने रिंकू (निवासी बरेली) को 586 ग्राम अफीम के साथ गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने कबूला कि वह अफीम बरेली से लाकर मुजफ्फरनगर और आसपास के जिलों में ऊंचे दामों पर बेचता था।
पुलिस की सख्त चेतावनी
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा का कहना है— “नशे के कारोबार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ‘ऑपरेशन सवेरा’ में पुलिस ने विशेष टीमें गठित की हैं जो लगातार कार्रवाई कर रही हैं। हर तस्कर को पकड़कर कानून के शिकंजे में लाया जाएगा।”
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण आदित्य बंसल ने कहा— “गांव-देहात में नशे का जाल फैलाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। नशा युवाओं के भविष्य को बर्बाद करता है और पुलिस का प्रयास है कि इस धंधे को पूरी तरह खत्म किया जाए।”
क्यों बढ़ रहा है नशे का कारोबार?
विशेषज्ञों का मानना है कि मुजफ्फरनगर की भौगोलिक स्थिति नशे के कारोबार के लिए ‘सप्लाई चेन कॉरिडोर’ बनाती है। यहां से बरेली, सहारनपुर, हरिद्वार और दिल्ली तक नशे की खेप आसानी से पहुंचाई जा सकती है। छोटे कस्बों में बेरोजगार युवाओं को जल्दी पैसा कमाने के लालच में इस धंधे में धकेल दिया जाता है।
समाज पर असर
नशे का सबसे बड़ा असर जिले की युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। कई परिवार अपने बच्चों को नशे की लत से जूझते देख चुके हैं। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगर इस कारोबार पर अंकुश नहीं लगा तो आने वाले समय में मुजफ्फरनगर का सामाजिक ढांचा और भी गंभीर खतरे में पड़ सकता है।
क्या है रास्ता?
पुलिस की कार्रवाई आवश्यक है, लेकिन सिर्फ छापेमारी और गिरफ्तारी से यह समस्या खत्म नहीं होगी। समाज में नशे के खिलाफ जागरूकता, परिवारों में निगरानी और स्कूल-कॉलेज स्तर पर काउंसलिंग बेहद जरूरी है।