मसूर की खेती में उठका रोग से बचें और पाएं बंपर पैदावार जानिए खेत तैयारी और बीज उपचार का जबरदस्त तरीका
रबी सीजन की प्रमुख दलहनी फसल मसूर किसानों के लिए एक बेहद फायदेमंद खेती मानी जाती है। इसकी फसल से न केवल अच्छा उत्पादन मिलता है बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है। लेकिन कई बार इस फसल को एक गंभीर समस्या यानी उठका रोग (Wilt Disease) का सामना करना पड़ता है, जो पूरे खेत की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। आज हम आपको बताएंगे कि मसूर की खेती में इस रोग से कैसे बचा जा सकता है और फसल को स्वस्थ व हरी-भरी कैसे रखा जा सकता है।
उठका रोग क्या है और यह कैसे फैलता है
खेत की तैयारी में करें यह जरूरी काम
मसूर की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई करना बहुत जरूरी है। जुताई के बाद मिट्टी में सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं ताकि जमीन की उर्वरता बनी रहे। इसके साथ ही खेत में ट्राइकोडर्मा नामक जैविक फफूंदनाशक मिलाना चाहिए। यह एक प्राकृतिक फफूंदनाशक है जो मिट्टी में मौजूद हानिकारक फंगस को नष्ट कर देता है और स्वस्थ वातावरण तैयार करता है।
बीज उपचार से मिलेगा दोगुना फायदा
उठका रोग से बचाव के लिए बुवाई से पहले बीज उपचार करना बेहद जरूरी है। बीज जनित रोगों और मिट्टी में मौजूद संक्रमणों को रोकने के लिए किसान प्रति किलो बीज में 3 ग्राम थीरम फफूंदनाशक मिलाकर उपचारित करें। इससे पौधे रोग-मुक्त रहते हैं और उनकी वृद्धि भी तेज होती है।
सही खाद प्रबंधन से फसल रहेगी हरी-भरी
मसूर की फसल के लिए संतुलित खाद देना भी बहुत जरूरी है। खेत में गोबर की खाद के साथ साथ थोड़ी मात्रा में फॉस्फोरस और पोटाश देने से पौधों की जड़ें मजबूत बनती हैं। इससे पौधे रोगों का सामना बेहतर तरीके से कर पाते हैं और उत्पादन भी बढ़ता है।
अगर किसान मसूर की बुवाई से पहले मिट्टी की सही तैयारी, बीज उपचार और खाद प्रबंधन पर ध्यान दें तो उठका रोग जैसी गंभीर समस्या से आसानी से बच सकते हैं। स्वस्थ मिट्टी, सही बीज उपचार और फसल की उचित देखभाल ही मसूर की खेती में सफलता की कुंजी है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञों और फसल अनुसंधान पर आधारित है। किसी भी कृषि निर्णय से पहले अपने स्थानीय कृषि अधिकारी या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
