गेहूं की पैदावार बढ़ाना चाहते हैं तो न करें यह एक गलती वैज्ञानिकों ने बताया खरपतवार नियंत्रण का सबसे सही समय
आज हम बात करेंगे Wheat Farming और Wheat Farming News से जुड़ी उस सबसे बड़ी चुनौती की जो हर रबी सीजन में किसानों को परेशान कर देती है. यह चुनौती है खेतों में तेजी से फैलने वाले खरपतवार की. विशेषज्ञ बताते हैं कि खरपतवार मिट्टी से पोषक तत्व सोख लेते हैं जिससे गेहूं की ग्रोथ रुक जाती है और पौधे कमजोर पड़ जाते हैं. जब पौधा ही कमजोर हो जाएगा तो उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा. इसलिए किसानों के लिए जरूरी है कि वे सही समय पर खरपतवार नियंत्रण करें और फसल को सुरक्षित रखें.
खरपतवार क्यों बन जाता है गेहूं का सबसे बड़ा दुश्मन
मध्य प्रदेश के कई इलाकों में इस समस्या का असर देखा जा रहा है. रबी सीजन में बड़े पैमाने पर गेहूं चना और मक्का जैसी फसलों की बुवाई होती है. किसान सिंचाई और शुरुआती देखभाल में लगे रहते हैं और इसी समय खरपतवार तेजी से फैलता है. यदि समय पर नियंत्रण नहीं किया गया तो उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है.
वैज्ञानिकों की चेतावनी सही समय पर नियंत्रण ही समाधान
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि गेहूं में खरपतवार फसल के साथ ही उगने लगता है और यही इसे खतरनाक बनाता है. Wheat Farming विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं की बुवाई के तीस से पैंतीस दिन की अवस्था खरपतवार नियंत्रण के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इस समय खरपतवार का आकार छोटा होता है और दवा जल्दी असर दिखाती है.
बाजार में उपलब्ध उन्नत दवाएं जैसे क्लोबेनफार्म पंद्रह प्रतिशत और मेटसल्फ्यूरॉन एक प्रतिशत वेस्टा को चार सौ ग्राम प्रति हेक्टेयर या एक सौ साठ ग्राम प्रति एकड़ की मात्रा में छिड़कने की सलाह दी जाती है. इस चरण पर दवा का उपयोग करने से खरपतवार नियंत्रित होता है और गेहूं को पूरा पोषण मिलता है.
कब नहीं करना चाहिए दवा का छिड़काव
कई किसान जल्दबाजी में बीस से पच्चीस दिन पर ही स्प्रे कर देते हैं और कुछ किसान चालीस से पैंतालीस दिन बाद दवा डालते हैं. दोनों ही स्थितियां Wheat Farming के लिए गलत साबित होती हैं. शुरुआती अवस्था में फसल और खरपतवार दोनों छोटे होते हैं जिससे दवा का प्रभाव पूरी तरह नहीं पड़ता.
चालीस दिन के बाद दवा डालना और भी हानिकारक है क्योंकि इस समय गेहूं में बाली बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. यदि इस अवस्था में दवा छिड़की जाए तो बाली बढ़ना रुक सकता है जिससे न केवल उत्पादन घटेगा बल्कि फसल देर से तैयार होगी और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा.
देर से दवा डालने का सबसे बड़ा नुकसान
जब किसान खरपतवार नियंत्रण में देरी कर देते हैं तो गेहूं को जरूरत के समय पोषण नहीं मिलता और पौधे कमजोर रह जाते हैं. Wheat Farming News के अनुसार इस स्थिति में उत्पादन काफी कम हो जाता है. समय पर छिड़काव से जहां उत्पादन बीस से तीस प्रतिशत तक बढ़ सकता है वहीं देरी होने पर फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है.
किसानों के लिए सबसे जरूरी सलाह
यदि किसान समय पर खरपतवार नियंत्रण करें तो गेहूं की फसल मजबूत बनती है और पैदावार भी बढ़ती है. तीस से पैंतीस दिन की अवस्था को कभी न चूकें. यही वह समय है जब दवा सबसे अधिक असर करती है और फसल को पोषक तत्व भरपूर मिलते हैं. Wheat Farming में यही तरीका किसानों को बेहतर उत्पादन दिला सकता है
