नेपाल के बाद फ्रांस में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, सड़कों पर उतरे लोग, 200 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार, 80 हजार पुलिसकर्मी तैनात

पेरिस। फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन के तहत हो रहे प्रदर्शनों ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। पुलिस ने अब तक 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। ये विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार गिरने के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा उनके करीबी सहयोगी सेबास्टियन लेकॉर्नू को नया प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद और तेज हो गए हैं। फ्रांसीसी अधिकारियों ने हालात संभालने के लिए 80,000 पुलिसकर्मी और जेंडरम तैनात किए। हजारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आगजनी, बैरिकेड्स और यातायात अवरोध पैदा किए।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। आज हम मैक्रों को यह दिखाने आए हैं कि जनता अब तंग आ चुकी है। वह लोगों की आवाज को यूं ही नजरअंदाज नहीं कर सकते।” जानकारी के मुताबिक, यह आंदोलन सोशल मीडिया और टेलीग्राम चैनलों के जरिए संगठित किया गया है। महंगाई, मितव्ययिता उपायों और कथित “अकार्यकुशल राजनीतिक व्यवस्था” को लेकर जनता का गुस्सा इसमें साफ दिख रहा है। हालांकि 2018 के ‘येलो वेस्ट’ प्रदर्शनों की तुलना में यह आंदोलन कम संगठित है, लेकिन ऑनलाइन समर्थन काफी मिल रहा है। दो प्रमुख यूनियनों, सीजीटी और एसयूडी, ने बुधवार को प्रदर्शनों का समर्थन किया है। वहीं, 18 सितंबर को व्यापक हड़ताल की भी घोषणा की गई है।
एक इप्सोस सर्वेक्षण के अनुसार, करीब 46 प्रतिशत फ्रांसीसी नागरिकों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है, जिसमें वामपंथियों के साथ-साथ दक्षिणपंथी नेशनल रैली के आधे से अधिक समर्थक भी शामिल हैं। स्वास्थ्यकर्मी और फार्मेसी कर्मचारी भी मेडिकल रिइम्बर्समेंट में कटौती के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। यूनियनों ने चेतावनी दी है कि इससे फ्रांस की 20,000 फार्मेसियों में से लगभग 6,000 बंद हो सकती हैं। लोगों का गुस्सा बायरू सरकार के उन प्रस्तावों पर भी है, जिनमें दो सार्वजनिक अवकाश खत्म करने और बजट घाटा कम करने जैसे कठोर कदम शामिल थे। कई प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति मैक्रों से संसद भंग कर तुरंत नए चुनाव कराने की मांग की है।