17 करोड़ की साइबर ठगी में मुज़फ्फरनगर के पुरबालियान गांव का कनेक्शन, दिल्ली पुलिस ने की छापेमारी
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मुजफ्फरनगर। मंसूरपुर थाना क्षेत्र का पुरबालियान गांव इन दिनों 17 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले में सुर्खियों में है। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने गांव में छापेमारी कर कई संदिग्धों और उनके परिजनों से पूछताछ की। अचानक हुई इस कार्रवाई से पूरे गांव में हड़कंप मच गया है।
डीलरशिप का झांसा देकर ठगी
ग्रामीण सूत्रों का कहना है कि आरोपी युवक ने अपने नेटवर्क के माध्यम से लोगों को भारी मुनाफे वाले बिजनेस प्लान का झांसा दिया। डीलरशिप लेने के लिए लोगों से सिक्योरिटी मनी जमा कराई गई। इस तरह देशभर में सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपये हड़पे गए।
गांव के युवकों के दस्तावेज़ का इस्तेमाल
जांच में सामने आया है कि आरोपी ने अपने ही गांव के 13 युवकों के पहचान पत्र और दस्तावेज़ इकट्ठा किए और उन्हीं के नाम पर फर्जी बैंक खाते व मोबाइल नंबर चालू कराए। ठगी की रकम इन्हीं खातों में जमा कराई जाती थी।
दिल्ली पुलिस की दबिश, स्थानीय पुलिस बेखबर
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल टीम इंस्पेक्टर एम.ए. खान के नेतृत्व में 6 सितंबर को गांव पहुँची थी। टीम ने गुपचुप तरीके से कई घरों की तलाशी ली और ग्रामीणों से पूछताछ की। हैरानी की बात यह रही कि इस कार्रवाई की कोई जानकारी स्थानीय मंसूरपुर पुलिस को तक नहीं दी गई।
थाना प्रभारी आनंद देव मिश्र ने बताया कि उन्हें दिल्ली पुलिस की छापेमारी या गांव के युवकों की संलिप्तता संबंधी कोई शिकायत नहीं मिली है। जिले के साइबर थाने ने भी इस तरह की किसी शिकायत से इनकार किया है।
गांव में चर्चाओं का बाजार गर्म
दिल्ली पुलिस की दबिश के बाद से पुरबालियान गांव की चौपालों पर यही चर्चा हो रही है कि आखिर किस तरह गांव के युवकों के दस्तावेज़ों का इस्तेमाल इस अंतरराष्ट्रीय ठगी में किया गया। ग्रामीणों में इस मामले को लेकर दहशत और आशंका का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के कुछ युवकों की ऐसी गतिविधियों के कारण पूरा गांव बदनाम हो रहा है। इससे पहले भी इसी गांव का एक युवक उत्तराखंड में नकली करेंसी के साथ पकड़ा जा चुका है और साइबर ठगी के अन्य मामलों में भी यहां के युवकों का नाम सामने आ चुका है।