राकेश मोहन का सुझाव! भारत को ASEAN स्तर तक आयात शुल्क घटाकर बढ़ाना चाहिए व्यापार- Rakesh Mohan

Rakesh Mohan: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य राकेश मोहन ने गुरुवार को कहा कि भारत को अपने आयात शुल्क (टैरिफ) को ASEAN देशों के स्तर तक लाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इससे न केवल व्यापार में वृद्धि होगी, बल्कि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन सकेगा। मोहन ने यह भी कहा कि अब विश्व व्यापार संगठन (WTO) का प्रभाव घट रहा है और वैश्विक व्यापार व्यवस्था बड़े क्षेत्रीय समूहों जैसे EU, USMCA, RCEP और CPTPP से नियंत्रित हो रही है।
वैश्विक व्यापार समूहों में भारत की भागीदारी जरूरी
1990 के दशक के सुधारों से मिली सीख
राकेश मोहन ने बताया कि 1990 के दशक में भारत ने जब आर्थिक सुधार शुरू किए, तब आयात शुल्क धीरे-धीरे कम किए गए। यह प्रक्रिया 2012 तक जारी रही, लेकिन 2012 के बाद यह ठहर गई और 2017 से कुछ शुल्क बढ़ा दिए गए। उन्होंने याद दिलाया कि 1990 के दशक के सुधार सफल इसलिए हुए क्योंकि उस समय रुपये का अवमूल्यन किया गया, जिससे घरेलू उद्योगों को संरक्षण मिला।
निर्यातकों और विनिर्माण के पक्ष में समायोजन जरूरी
मोहन ने कहा कि जैसे-जैसे भारत आयात शुल्क कम करेगा, यह जरूरी होगा कि मुद्रा विनिमय दर (Currency Exchange Rate) को समायोजित किया जाए ताकि निर्यातकों और विनिर्माण उद्योग के पक्ष में प्रभाव पड़े। उन्होंने ASEAN देशों जैसे सिंगापुर, मलयेशिया, थाईलैंड, ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, म्यांमार, फिलीपींस और वियतनाम का उदाहरण दिया।
भारत ने 2019 में RCEP समझौते से पीछे हटा
मोहन ने बताया कि भारत ने 2013 में RCEP में शामिल होने के लिए बातचीत शुरू की थी, लेकिन 2019 में इस समझौते से पीछे हट गया। इस समूह में दस ASEAN सदस्य देश और उनके छह एफटीए साझेदार (चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) शामिल हैं।
चीनी निवेश पर दृष्टिकोण
राकेश मोहन ने कहा कि भारत को श्रम प्रधान क्षेत्रों में चीनी निवेश का स्वागत करना चाहिए, क्योंकि चीन में प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है। उन्होंने जोर दिया कि भारतीय उद्यमियों को चीनी निवेशकों के साथ संयुक्त उद्यम (Joint Ventures) शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि उद्योग भारत में आएं और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले।