एनसीआर में वायु प्रदूषण चरम पर, गाजियाबाद और नोएडा रेड जोन में शामिल



स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, इस स्तर का प्रदूषण लंबे समय तक रहने पर सांस संबंधी बीमारियों का कारण बन सकता है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त आंकड़े और भी चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं। लोनी इलाके में तो एक्यूआई 352 दर्ज किया गया, जो कि 'गंभीर' श्रेणी के काफी करीब है। वहीं, संजय नगर में 288, इंदिरापुरम में 280 और वसुंधरा में 284 एक्यूआई रहा। अक्टूबर महीने के पहले सप्ताह के आंकड़े दिखाते हैं कि पीएम10 इस क्षेत्र में प्रमुख प्रदूषक रहा है। 16 अक्टूबर को पीएम10 का स्तर 307 तक पहुंच गया था, जबकि 15 अक्टूबर को 254 और 14 अक्टूबर को 261 दर्ज किया गया। नोएडा की हालत भी ज्यादा बेहतर नहीं रही। यहां के सेक्टर-125 में एक्यूआई 337 दर्ज किया गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है।
सेक्टर-116 में 269, सेक्टर-1 में 257 और सेक्टर-62 में 218 एक्यूआई रहा। दिल्ली में भी हालात नाजुक बने हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार इलाका सबसे प्रदूषित पाया गया, जहां एक्यूआई 365 दर्ज किया गया। यह स्तर 'गंभीर' श्रेणी में आता है। वहीं, वजीरपुर में 333, बवाना में 306 और मुंडका में 283 एक्यूआई रहा। इससे साफ है कि दिल्ली के कई इलाके भी 'बहुत खराब' से लेकर 'गंभीर' श्रेणी की हवा में लोग सांस ले रहे हैं। मौसम विभाग और पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि हवा की रफ्तार धीमी होने और तापमान में गिरावट के कारण प्रदूषक तत्व हवा में जमा हो रहे हैं। इस समय हवा की दिशा और गति प्रदूषकों को फैलाने के अनुकूल नहीं है। विशेषज्ञों ने नागरिकों से सलाह दी है कि वे सुबह और शाम के समय बाहरी गतिविधियों से बचें, खासकर सांस के मरीज और बुजुर्ग। साथ ही, मास्क पहनने और घर के अंदर एयर प्यूरीफायर के इस्तेमाल की भी सलाह दी जा रही है।