कानून बदला तो अपराधियों की चाल भी बदल गई-तीन साल की झपटमारी सजा ने भोपाल में चार गुना बढ़ा दी स्ट्रीट स्नैचिंग की वारदातें
Madhya Pradesh News: भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू होने के बाद राजधानी भोपाल में सड़क पर होने वाले अपराधों का ग्राफ अचानक चढ़ने लगा है। जुलाई 2024 से लागू नए कानून में लूट की जगह “झपटमारी” की नई धारा ने सबसे बड़ा असर डाला है। पहले मोबाइल और चेन लूटने जैसे अपराध आईपीसी की लूट धारा में दर्ज होते थे, जिसमें 10 साल तक की कठोर सजा का प्रावधान था। अब बीएनएस ने इसे झपटमारी मानते हुए अधिकतम 3 साल की सजा तक सीमित कर दिया है।
कम सजा का बड़ा असर
पुलिस-अपराधी का पुराना समीकरण ढह गया
बीएनएस की नई व्याख्या ने पुलिस और अपराधियों के बीच का पूरा समीकरण बदल दिया है। पहले लूट के मामलों में गिरफ्तारी अनिवार्य थी और कोर्ट भी सख्ती बरतता था। अब झपटमारी को गैर-जघन्य अपराध माना गया है। कई मामलों में पुलिस केवल नोटिस देकर आरोपित को छोड़ देती है, और जमानत मिलना भी बेहद आसान हो गया है। इस नरमी ने अपराधियों के लिए रास्ता और खुला कर दिया है।
अंकड़ों में छुपी हकीकत, लेकिन सड़कें बता रही सच्चाई
पुलिस रिकॉर्ड को ‘कंट्रोल’ में दिखाने के लिए थानों में झपटमारी की ही धाराओं में FIR दर्ज की जाती है। जब अपराधी गिरफ्तार होता है, तभी उसके खिलाफ लूट की गंभीर धाराएँ बढ़ा दी जाती हैं। हाल ही में टीटीनगर इलाके में गिरफ्तारी के बाद कई मामलों में यही प्रक्रिया दोहराई गई। यह दिखाता है कि नीचे से ऊपर तक अपराध दर्ज करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आया है।
आईपीसी बनाम बीएनएस: अपराध की परिभाषा बदली, असर बढ़ा
आईपीसी की लूट धारा में 10 साल तक की सजा, जघन्य अपराध का दर्जा, अनिवार्य गिरफ्तारी और कोर्ट की सख्त निगरानी थी। जबकि बीएनएस ने झपटमारी को गैर-जघन्य अपराध बनाकर तीन साल की सजा तक सीमित किया है। जमानत आसान, अदालत का दबाव कम और पुलिस पर निगरानी लगभग नगण्य हो गई है। नतीजा यह कि अपराधी लंबे समय तक गिरफ्त से बाहर रहते हैं और स्ट्रीट क्राइम पर रोक कमजोर हो गई है।
कानून पर सवाल, सुरक्षा पर खतरा
रिटायर्ड डीजीपी मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार, लूट की वारदातों को झपटमारी में दर्ज करना न्याय संहिता की सबसे बड़ी खामी है। इससे अपराधियों के हौसले बढ़ रहे हैं और सड़क सुरक्षा खतरे में है। यदि पुलिस कार्रवाई में सख्ती नहीं आई, तो आम लोगों की सुरक्षा और मुश्किल में पड़ सकती है।
संशोधन ने अदालतों और सुनवाई की दिशा भी बदली
मोबाइल और चेन झपटमारी की धाराएँ आईपीसी में भी पहले कमजोर की गई थीं। 2019 के IPC Amendment Bill में 379A जोड़कर झपटमारी की परिभाषा तय की गई थी और ऐसे मामलों की सुनवाई निचली अदालतों में स्थानांतरित कर दी गई थी। बीएनएस में भी इन्हें नई धारा के रूप में शामिल किया गया है, जिससे अपराधियों के लिए प्रक्रिया और भी सरल हो गई है।
