अनमोल वचन
वेद का ऋषि परमपिता परमात्मा को माँ के रूप में सम्बोधित करते हुए याचना करता है:
"हे ऊष्मा के समान प्राणदायिनी माँ! आप आज हमें महान सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें। आप हमें महान सौभाग्य के लिए नियमपरायण बनाएँ, हमें यशोमय अद्भुत ऐश्वर्य प्रदान करें।आप हमें मरणधर्मा मानव समाज के मध्य कीर्तिमान एवं यशस्वी बनाएँ।
आपकी कृपा से हमें यह ज्ञान है कि माँ की शक्ति अपार होती है, परन्तु इस अपार शक्ति का लाभ श्रद्धावान और सेवाभावी संतानों को ही प्राप्त होता है। यदि संतान माँ के हृदय को ठेस पहुँचाती है, तो निश्चित ही माँ के आशीष की तरंगें निष्क्रिय हो जाती हैं।
और पढ़ें ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर पर आय से तीन गुना अधिक संपत्ति का आरोप, लोकायुक्त में परिवाद दर्जयशस्वी और कीर्तिमान जीवन के अधिकारी वे ही होते हैं, जो माता-पिता के प्रति अति आस्थावान और सम्मानजनक व्यवहार करने वाले हों। माता-पिता का पवित्र, धीर, विनम्र और अग्नि तुल्य तेजस्वी पुत्र ही अपनी शक्ति से संसार को पवित्र करता है।
इसलिए, हम आपसे स्वयं के लिए एक योग्य, आज्ञाकारी, श्रद्धावान और यशस्वी संतान बनने का आशीर्वाद चाहते हैं।"
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