मन की बात : पीएम मोदी ने कोमाराम भीम को याद किया, युवाओं से कहा- संघर्ष से सीख लें


उन्होंने कहा, "20वीं सदी का शुरुआती कालखंड, तब दूर-दूर तक आजादी की कहीं कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। पूरे भारत में अंग्रेजों ने शोषण की सारी सीमाएं लांघ दी थीं और उस दौर में हैदराबाद के देशभक्त लोगों के लिए दमन का दौर और भी भयावह था। वे क्रूर और निर्दयी निजाम के अत्याचारों को भी झेलने को मजबूर थे। ऐसे कठिन समय में करीब बीस साल का एक नौजवान इस अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ था।" उन्होंने बताया कि उस दौर में जब निजाम के खिलाफ एक शब्द बोलना भी गुनाह था, उस नौजवान ने सिद्दीकी नाम के निजाम के एक अधिकारी को खुली चुनौती दी थी।
निजाम ने सिद्दीकी को किसानों की फसलें जब्त करने के लिए भेजा था, लेकिन अत्याचार के खिलाफ इस संघर्ष में उस नौजवान ने सिद्दीकी को मौत के घाट उतार दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, "कोमाराम भीम की उम्र 40 साल थी, लेकिन उन्होंने आदिवासी समाज समेत लाखों लोगों के दिलों में अमिट स्थान बनाया। वे अपनी रणनीतिक कुशलता के लिए प्रसिद्ध थे और निजाम की सत्ता के लिए बड़ी चुनौती बने। 1940 में निजाम के लोगों ने उनकी हत्या कर दी।" कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "अभी 22 अक्टूबर को ही कोमाराम भीम की जन्म-जयंती मनाई गई। अपने जीवन-काल में उन्होंने अनगिनत लोगों, विशेषकर आदिवासी समाज के हृदय में अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने निजाम के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों में नई ताकत भरी। वे अपने रणनीतिक कौशल के लिए भी जाने जाते थे। निजाम की सत्ता के लिए वे बहुत बड़ी चुनौती बन गए थे।" इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं से कहा, "मैं आग्रह करता हूं कि वे उनके बारे में अधिक जानें और उनके संघर्ष से प्रेरणा लें।"
