मेरठ। राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के 150 साल पूरे होने पर एलएलआरएम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन मेडिकल कॉलेज के सभागार में हुआ।
कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित हमारा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम अक्षय नवमी के पावन अवसर पर, 7 नवंबर 1875 को लिखा गया था। वंदे मातरम पहली बार साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में उनके उपन्यास आनंदमठ के एक अंश के रूप में प्रकाशित हुआ था। मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक बताते हुए इस गीत ने भारत की एकता और आत्मगौरव की जागृत भावना को काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी। यह गीत जल्द ही राष्ट्र के प्रति समर्पण का एक चिरस्थायी प्रतीक बन गया। यह गीत चटर्जी के उपन्यास आनंदमठ में पहली बार दिखाई दिया था।
मेडिकल कॉलेज मेरठ के उप प्राचार्य डॉ. ज्ञानेश्वर टाँक ने कहा कि इस गीत ने स्वतंत्रता सेनानियों के दिलों में विद्रोह की भावना प्रज्जवलित की थी। जिन्होंने अपनी आखिरी सांस तक इस गीत को अपनी जुबां पर रखा था।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. ललिता चौधरी द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि 24 जनवरी, 1950 को "वन्देमातरम' को राष्ट्रगान के समकक्ष मान्यता मिल जाने पर अनेक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय अवसरों पर 'वन्देमातरम' गीत को स्थान मिला। कार्यक्रम में ‘वंदेमातरम’ गीत का गायन एमबीबीएस पाठयक्रम के विद्यार्थियों द्वारा डॉ. योगिता सिंह आचार्य एवं विभागाध्यक्ष मेडिसिन विभाग के नेतृत्व में किया गया।
उपरोक्त कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज मेरठ के संकाय सदस्य,नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ, विद्यार्थीगण, कर्मचारीगण आदि उपस्थित रहे।