17 साल बाद गजरौला डकैती-कांड का फैसला: मुजफ्फरनगर के दो सगे भाइयों को उम्रकैद, अदालत ने सुनाई सख्त सजा
Amroha News: अमरोहा के सत्र न्यायालय ने गजरौला में 17 वर्ष पहले हुई सनसनीखेज डकैती और गृहस्वामी की हत्या के मामले में मुजफ्फरनगर के दो सगे भाइयों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने दोनों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। एक आरोपी पहले से जेल में था जबकि दूसरा जमानत पर बाहर रह रहा था।
2008 की सुबह जिसने बदल दी एक परिवार की जिंदगी
विरोध किया तो कर दी हत्या
रामवीर सिंह द्वारा विरोध करने पर बदमाशों ने उनके चेहरे पर गोली मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। गोली की आवाज सुनकर पत्नी और बेटा नरेंद्र पहुंचे, लेकिन बदमाशों ने उन पर भी फायर झोंक दिया। दोनों गंभीर रूप से घायल हुए। बदमाश 50 हजार रुपये नकद, जेवरात और चार मोबाइल लूटकर फरार हो गए।
पुलिस की तफ्तीश और पहला सुराग
घटना के बाद नरेंद्र सिंह की तहरीर पर अज्ञात बदमाशों के खिलाफ FIR दर्ज हुई। पुलिस ने सर्विलांस की मदद से मुजफ्फरनगर के नया गांव निवासी अंजुम को पकड़ा। पूछताछ में उसने अपने साथियों—नजाकत, शहजाद, मुशर्रफ उर्फ गुलजार, भूरा और कादिर—के नाम उजागर किए।
दो बदमाश एनकाउंटर में ढेर
अंजुम की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने नजाकत, शहजाद और मुशर्रफ को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा। बाद में नजाकत और शहजाद जमानत पर छूट गए। दो आरोपी—कादिर और भूरा—2019 में रुड़की पुलिस से मुठभेड़ में मारे गए। वहीं मुशर्रफ 2011 में पुलिस कस्टडी से फरार हो गया और उसका आजतक पता नहीं चल सका।
जेल, जमानत और अदालत की लंबी सुनवाई
नजाकत पहले ही एक अन्य मामले में उम्रकैद काट चुका था और 14 साल बाद रिहा हुआ। शहजाद बिजनौर जेल में बंद है, जबकि नजाकत घटना के फैसले के समय घर पर था। पोक्सो एक्ट की विशेष अदालत में इस डकैती-हत्याकांड की सुनवाई 241 तारीखों तक चली और आठ गवाहों ने बयान दिए।
अभियोजन का पक्ष और निर्णायक क्षण
अभियोजन पक्ष के एडीजीसी अमित कुमार वशिष्ठ ने बताया कि अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहियों के आधार पर दोनों भाइयों को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही दोनों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।
