किसानों के लिए सुनहरा मौका सितंबर अक्टूबर में होने वाली इस खेती से मिलेगी जबरदस्त कमाई और बाजार में मिलेंगे बेहतरीन दाम

खेती-किसानी हमेशा से हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा रही है और जब बात आती है ऐसी फसलों की जिनसे कम समय में अच्छा मुनाफा कमाया जा सके तो मूली की खेती का नाम जरूर लिया जाता है खासकर मूली की अगेती खेती किसानों को दोगुना फायदा देती है क्योंकि इसकी फसल जल्दी तैयार होकर बाजार में शानदार दाम दिलाती है। आज हम आपको मूली की काशी हंस किस्म की खेती के बारे में बताएंगे जो किसानों के लिए सोने पर सुहागा साबित हो सकती है।
काशी हंस मूली की खासियत
खेती के लिए उपयुक्त समय और मिट्टी
इस किस्म की बुवाई के लिए सितंबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। काशी हंस मूली की खेती के लिए ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु आदर्श रहती है। वहीं अगर मिट्टी की बात करें तो रेतीली दोमट और अच्छी जल धारण क्षमता वाली मिट्टी इसकी पैदावार के लिए बिल्कुल उपयुक्त होती है। बुवाई से पहले खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करना जरूरी है जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए और जड़ों के विकास में कोई रुकावट न आए। इसके साथ ही खेत में उचित मात्रा में कम्पोस्ट खाद डालने से फसल का उत्पादन और भी बेहतर हो जाता है।
फसल का समय और उत्पादन
काशी हंस किस्म की मूली की फसल बुवाई के करीब पचास से साठ दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह किस्म रोग प्रतिरोधक है और कम समय में शानदार पैदावार देती है। उत्पादन क्षमता की बात करें तो एक हेक्टेयर खेत से किसान लगभग चालीस से पैंतालीस टन तक की मूली प्राप्त कर सकते हैं।
बाजार में मांग और मुनाफा
दोस्तों बाजार में मूली की काशी हंस किस्म की बहुत अच्छी मांग रहती है इसकी कीमत करीब दस से बीस रुपए प्रति बंडल तक रहती है। ऐसे में अगर कोई किसान एक हेक्टेयर में इसकी खेती करता है तो वह लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकता है। यही नहीं इसे किचन गार्डन में भी आसानी से उगाया जा सकता है जिससे घर की सब्जियों की जरूरत भी पूरी हो जाती है और खर्चा भी बचता है।
काशी हंस किस्म की मूली की अगेती खेती किसानों के लिए वरदान की तरह है कम समय में तैयार होने वाली यह फसल ज्यादा मुनाफा देती है और रोगों से भी सुरक्षित रहती है। सही समय पर सही तरीके से इसकी बुवाई करने पर किसान लाखों रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न कृषि स्रोतों और विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है खेती करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ या विभाग से सलाह जरूर लें