गेहूं की नई किस्म की खेती से किसान कैसे पा रहे हैं 70 से 78 क्विंटल तक बंपर पैदावार और लाखों की कमाई जानिए पूरी जानकारी

अगर आप गेहूं की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है। आज हम आपको गेहूं की एक ऐसी खास किस्म के बारे में बता रहे हैं जिसकी मांग देशभर में बहुत अधिक है और इसकी उपज क्षमता अन्य सभी किस्मों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इस किस्म की खासियत यह है कि इसमें प्रोटीन आयरन और जिंक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यही कारण है कि इसका इस्तेमाल आटा दलिया पास्ता और सूजी बनाने में बड़े स्तर पर किया जाता है। किसान इस किस्म को अपनाकर आसानी से कम मेहनत में बहुत ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
इस किस्म की खेती के लिए अच्छी जल धारण क्षमता वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और मिट्टी में गोबर की सड़ी हुई खाद डालना चाहिए। प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए लगभग 100 से 125 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है। डबल सीड ड्रिल का उपयोग करना चाहिए और पंक्ति से पंक्ति की दूरी करीब 20 से 22 सेंटीमीटर रखना सबसे बेहतर रहता है। बुवाई के बाद यह फसल लगभग 115 से 125 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाती है।
दोस्तों इस किस्म की उपज क्षमता बेहद शानदार है और यही कारण है कि इसकी बुकिंग भी शुरू हो चुकी है। एक हेक्टेयर में इस गेहूं की खेती करने पर किसान को 70 से 78 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है। अगर इसे बाजार में औसतन 25 रुपए किलो की दर से बेचा जाए तो किसान लगभग 1,95,000 रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। यानी थोड़े से निवेश और सही तकनीक से किसान इस गेहूं की किस्म को उगाकर लाखों की आय अर्जित कर सकते हैं।
आज के समय में जब खेती में बढ़ती लागत और घटते मुनाफे से किसान परेशान रहते हैं तो यह किस्म किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस किस्म की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह न केवल पोषण से भरपूर है बल्कि रोग प्रतिरोधक भी है और यही वजह है कि किसान इसे बड़े स्तर पर अपनाने लगे हैं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों और कृषि विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। खेती से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञ या कृषि विभाग से सलाह जरूर लें।