पर्पल मैजिक ब्रोकली बनी किसानों की पहली पसंद, एक हेक्टेयर में 200 क्विंटल तक उत्पादन और लाखों की कमाई
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आज हम आपके लिए एक ऐसी सब्ज़ी की जानकारी लेकर आए हैं जिसकी खेती किसानों के लिए सोने पर सुहागा साबित हो सकती है। आपने साधारण ब्रोकली की डिमांड और कीमत के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी एक खास किस्म ऐसी भी है जो बाजार में और भी ज्यादा महंगी बिकती है। इस किस्म का नाम है ब्रोकली पर्पल मैजिक। यह न सिर्फ दिखने में बेहद आकर्षक होती है बल्कि अपने स्वाद और पौष्टिकता के कारण उपभोक्ताओं की पहली पसंद भी बन चुकी है।
पर्पल मैजिक क्यों है खास
खेती का सही समय और तरीका
अगर आप इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो आपको ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। पर्पल मैजिक की खेती ठंडी जलवायु में सबसे बेहतर होती है और इसका उपयुक्त समय सितंबर के मध्य से फरवरी तक रहता है। इसकी बुवाई बलुई दोमट मिट्टी में करनी चाहिए जहाँ जल निकासी की व्यवस्था अच्छी हो। पहले नर्सरी में बीज बोकर पौधे तैयार किए जाते हैं और फिर इन्हें खेत में रोपा जाता है। गोबर की कंपोस्ट खाद और ऑर्गेनिक कीटनाशकों का उपयोग करके किसान अच्छी और सुरक्षित फसल ले सकते हैं। खास बात यह है कि बुवाई के करीब 90 दिन बाद ही यह किस्म बाजार में बिकने के लिए तैयार हो जाती है।
उत्पादन और कमाई
पर्पल मैजिक की सबसे बड़ी खासियत इसकी उच्च उत्पादन क्षमता है। एक हेक्टेयर जमीन पर इस किस्म की खेती करने से लगभग 150 से 200 क्विंटल तक ब्रोकली प्राप्त की जा सकती है। वर्तमान समय में इसकी कीमत और मांग इतनी अधिक है कि किसान एक हेक्टेयर में 5 से 8 लाख रुपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं। इसके अलावा इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है जिससे फसल सुरक्षित रहती है और किसान को ज्यादा नुकसान झेलना नहीं पड़ता।
दोस्तों अगर आप खेती में कुछ नया और फायदे का सौदा करना चाहते हैं तो ब्रोकली की पर्पल मैजिक किस्म आपके लिए बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। इसकी डिमांड बाजार में लगातार बढ़ रही है और उपभोक्ताओं के बीच इसकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। सही समय पर खेती करने और थोड़ी सी मेहनत से किसान भाई लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञों और विभिन्न स्रोतों पर आधारित है। खेती शुरू करने से पहले स्थानीय जलवायु और मिट्टी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग या विशेषज्ञों की सलाह जरूर