मुजफ्फरनगरः भ्रष्टाचार के दलदल में कमालपुर ग्राम पंचायत: 6 माह तक 'फाइल' दबाए बैठे रहे अफसर, न्याय मांग रही महिला को मिली जान से मारने की धमकी
मुजफ्फरनगर। जनपद के थाना शाहपुर क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम कमालपुर में विकास कार्यों के नाम पर हुए कथित सरकारी धन के बंदरबांट का मामला अब तूल पकड़ चुका है। आरोप है कि यहाँ ग्राम प्रधान द्वारा किए गए भारी भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए न केवल जांच में देरी की गई, बल्कि शिकायतकर्ता को डराने-धमकाने का खेल भी शुरू हो गया है। प्रशासनिक गलियारों में यह चर्चा का विषय है कि आखिर किसके दबाव में महीनों तक भ्रष्टाचार की फाइल को ठंडे बस्ते में डालकर रखा गया।
साढ़े छह महीने तक कहां गायब रही फाइल? न्याय की आस में रीना ने 12 जून 2025 को सभी साक्ष्यों के साथ मंडल कार्यालय सहारनपुर में तत्कालीन अपर आयुक्त रमेश को शिकायत पत्र सौंपा। लेकिन आरोप है कि इस फाइल को रहस्यमय तरीके से साढ़े छह महीने तक दबाकर रखा गया। पंचायती राज नियमावली के अनुसार, किसी भी प्रधान के विरुद्ध शिकायत पर एक महीने के भीतर जांच शुरू होनी अनिवार्य है, लेकिन कमालपुर के मामले में संविधान और नियमों को ताक पर रख दिया गया।
कमिश्नर के दखल के बाद जागा तंत्र
हैरानी की बात यह रही कि नए कमिश्नर के आने और उनके हस्तक्षेप के बाद ही यह दबी हुई फाइल बाहर निकली। फाइल पहले जेडीसी सहारनपुर और फिर जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर के कार्यालय पहुंची। जानकारी के अनुसार, यह फाइल पहले भी जिलाधिकारी के पास आई थी, लेकिन कथित रूप से अपर आयुक्त ने इसे दोबारा अपने पास मंगवा लिया था। अब एक बार फिर फाइल जिलाधिकारी कार्यालय में होने के बावजूद जमीनी स्तर पर जांच शुरू नहीं हो पाई है।
अधिकारियों की चुप्पी और पीड़िता को धमकी
शिकायतकर्ता का आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान डीपीआरओ कार्यालय से केवल टालमटोल वाले जवाब मिले हैं। मुख्य विकास अधिकारी (CDO) को भी पूरे प्रकरण से अवगत कराया गया, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। इस बीच, भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाली रीना को अब जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, जिससे उनका परिवार दहशत में है।
पीड़िता की सरकार और प्रशासन से मांग:
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ग्राम प्रधान के खिलाफ निष्पक्ष और स्वतंत्र विशेष टीम से जांच कराई जाए।
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पूर्व में की गई पक्षपातपूर्ण जांच को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
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साढ़े छह महीने तक जानबूझकर फाइल दबाने वाले अधिकारियों की भूमिका की जांच हो।
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शिकायतकर्ता को तत्काल सुरक्षा मुहैया कराई जाए ताकि वह निडर होकर गवाही दे सके।
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भ्रष्टाचार सिद्ध होने पर सरकारी धन की रिकवरी और दोषियों के खिलाफ कठोर वैधानिक कार्रवाई की जाए।
रॉयल बुलेटिन की इस रिपोर्ट के बाद अब देखना यह है कि जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर इस गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार के मामले में क्या कड़ा कदम उठाते हैं। क्या कमालपुर के ग्रामीणों को उनके हक का पैसा वापस मिलेगा, या यह फाइल फिर से किसी दफ्तर की धूल फांकने लगेगी ?
