किसी धर्म में लाउडस्पीकर अनिवार्य नहीं- मस्जिद की याचिका खारिज; सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी किया जिक्र
Maharashtra News: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी धर्म में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल अनिवार्य हिस्सा नहीं है। अदालत ने यह बात उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कही जिसमें धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर के उपयोग पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की गई थी।
धर्म शांति भंग करने की सलाह नहीं देता
अनिवार्यता साबित करने के सबूत मांगें गए
यह निर्णय गोंडिया जिले की गौसिया मस्जिद द्वारा दायर याचिका पर आया, जिसमें लाउडस्पीकर के उपयोग को फिर से बहाल करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर को याचिकाकर्ता को यह साबित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया कि नमाज के लिए लाउडस्पीकर आवश्यक है। लेकिन मस्जिद प्रशासन ऐसा कोई भी प्रमाण पेश करने में असफल रहा।
ध्वनि प्रदूषण पर गंभीर टिप्पणी
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण होता है, जो मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत में हर व्यक्ति को आवाज सुनने या न सुनने का मौलिक अधिकार है, ऐसे में किसी को भी अनचाहे शोर को सुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
प्रतिबंध हटाने की मांग खारिज
अदालत ने पाया कि लाउडस्पीकर धार्मिक अनिवार्यता नहीं है, इसलिए प्रतिबंध हटाने की मांग उचित नहीं है। लिहाज़ा याचिका को खारिज कर दिया गया और प्रशासन द्वारा जारी नियमों एवं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को यथावत रखने का निर्णय सुनाया।
