कर्नाटक में 'डिजिटल अरेस्ट' के जाल में फंसीं बीजेपी सांसद की पत्नी: 14 लाख की ठगी, पुलिस ने 'गोल्डन आवर' में रिकवर किया

बेंगलुरु। कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर से बीजेपी सांसद और पूर्व मंत्री डॉ. के. सुधाकर की पत्नी, डॉ. प्रीति सुधाकर साइबर ठगों के 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम का शिकार हो गईं। ठगों ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताकर उनसे 14 लाख रुपये की ठगी की। हालांकि, डॉ. प्रीति की तत्काल शिकायत पर बेंगलुरु पुलिस ने 'गोल्डन आवर' में कार्रवाई करते हुए आरोपी बैंक खाते को फ्रीज कर दिया और पूरी रकम एक सप्ताह के भीतर वापस करा दी।
ठगों की धमकी और 'डिजिटल अरेस्ट' का डर
ठगों ने डॉ. प्रीति को 'डिजिटल अरेस्ट' में होने की धमकी दी और कहा कि अगर वे सहयोग नहीं करेंगी तो गिरफ्तारी हो जाएगी। उन्होंने सज्जाद खान की कथित गिरफ्तारी की फोटो भी भेजी ताकि विश्वास पैदा हो। आरबीआई नियमों का हवाला देते हुए ठगों ने कहा कि खाते की जांच के लिए 14 लाख रुपये एक 'वेरिफिकेशन अकाउंट' में ट्रांसफर करना होगा, और 45 मिनट के अंदर रकम वापस कर दी जाएगी।
डॉ. प्रीति ने भरोसा करके अपने एचडीएफसी बैंक खाते से येस बैंक के एक अज्ञात खाते में आरटीजीएस के जरिए 14 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। लेकिन पैसे मिलते ही ठग संपर्क तोड़कर गायब हो गए। इस दौरान डॉ. प्रीति ने परिवार को कुछ नहीं बताया, लेकिन बैंक जाते समय परिवार के संदेह पर बात खुल गई।
ठगी का एहसास होते ही डॉ. प्रीति ने उसी शाम पश्चिम डिवीजन के साइबर क्राइम, इकोनॉमिक ऑफेंसेज एंड नारकोटिक्स (CEN) पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 के साथ समन्वय कर 'गोल्डन आवर' (ठगी के तुरंत बाद की अवधि) में आरोपी खाते को फ्रीज कर दिया। 3 सितंबर को कोर्ट के आदेश पर बैंक ने पूरी रकम डॉ. प्रीति के खाते में वापस जमा करा दी।
पुलिस ने बताया कि डॉ. प्रीति ने साइबर हेल्पलाइन पर कॉल करने और नजदीकी थाने में तुरंत शिकायत दर्ज करने से यह संभव हुआ। वर्तमान में पुलिस आरोपी की तलाश और जांच में जुटी हुई है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (वेस्ट) एस. गिरीश ने कहा कि साइबर ठगी के शिकार लोगों को घबराहट में समय नष्ट न करें। तुरंत 1930 पर कॉल करें और थाने में शिकायत दर्ज कराएं। उन्होंने चेतावनी दी कि कोई भी सरकारी अधिकारी फोन पर पैसे मांगता है या 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी धमकी देता है, तो यह स्कैम है।
यह घटना साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं को दर्शाती है, जहां ठग उच्च प्रोफाइल लोगों को भी निशाना बना रहे हैं। डॉ. प्रीति की तत्परता ने न केवल उनकी रकम बचाई, बल्कि अन्य लोगों के लिए उदाहरण भी पेश किया।