बुलंदशहर में मरा समझकर गंगा में बहाया था बेटा, 13 साल बाद 'जिंदा' लौटा; माता-पिता ने लगाया गले


सूरजपुर टिकरी गांव निवासी सुखपाल सैनी और उनकी पत्नी सुमन देवी के परिवार में 5 बच्चे थे। परिवार के लोगों ने बताया कि 13 साल पहले उनका 13 वर्षीय बेटा दीपू भूसे की कोठरी से दराती निकालते समय कोबरा सांप के डसने का शिकार हो गया था। झाड़-फूंक और इलाज के बाद भी जब दीपू की जान नहीं बची, तो परिजनों ने उसे मृत समझकर ब्रजघाट पर गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया था।
बंगाली बाबा के साथ लौटा दीपू
परिजनों के दावे के अनुसार, 13 साल बाद दीपू एक बंगाली बाबा के साथ शुक्रवार देर शाम अपने पैतृक गांव सूरजपुर टिकरी पहुंचा। दीपू को देखते ही माता-पिता ने उसे पहचान लिया और गले लगा लिया। भाई राजकुमार और बहनें भी उसे जिंदा देखकर हैरान रह गए। दीपू ने बताया कि आज वह 26 साल का है और अपने परिवार से मिलकर बहुत खुश है।
सांप पकड़ने वाले सपेरों ने बचाया
पलवल आश्रम से दीपू को गांव लाए बंगाली नाथ बाबा ने दावा किया कि दीपू का शव बहता हुआ करीब 10 किलोमीटर दूर पहुंचा, जहां सपेरों की नजर उस पर पड़ी। सपेरे उसे उठाकर 120 किलोमीटर दूर पलवल के गांव नागल स्थित उनके आश्रम ले गए। बाबा ने बताया, "हम लोग बच्चे को पलवल आश्रम से पश्चिम बंगाल में अपने गुरु के पास ले गए, जहां एक हफ्ते के इलाज के बाद वह जिंदा हो गया।"
दीपू ने बताया कि एक साल पहले सपेरों का एक गुट सूरजपुर गांव आया था। उसकी मां ने उनसे अपने मृत बेटे की कहानी बताई और फोटो दिखाई। सपेरों ने जब इस फोटो का मिलान बंगाली बाबा के आश्रम में रखे बच्चे की तस्वीर से किया, तब दीपू के जिंदा होने का दावा किया गया।
अब पश्चिम बंगाल में करता है सांप पकड़ने का काम
दीपू ने बताया कि अब उसकी शादी हो चुकी है और उसके साथ पत्नी अनीता, दो बेटी और एक बेटा है। वह परिवार के साथ पश्चिम बंगाल में रहता है और बंगाली बाबा के साथ सांप पकड़ने का काम करता है।
दीपू शनिवार को करीब 24 घंटे परिवार के साथ रहा। परिवार के लोगों ने उसे अपने साथ रहने को कहा, लेकिन साथ आए बंगाली नाथ बाबा ने दीपू को गांव में परिजनों के पास छोड़ने से साफ इनकार कर दिया और उसे अपने साथ पलवल आश्रम वापस ले गए।
दीपू के पिता सुखपाल सैनी और भाई राजकुमार ने कहा कि बेटा भले ही उनके साथ नहीं रहेगा, लेकिन वह जिंदा है, इस बात की खुशी है। दीपू ने परिजनों को आश्वासन दिया है कि वह अब अपने घर आता-जाता रहेगा।
