मुजफ्फरनगर में सफाईकर्मी की ड्यूटी पर मौत, कूड़े की गैस से मौत पर अहिल्याबाई चौक जाम; प्रशासन ने दिया आश्वासन
मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर नगर पालिका के एक आउटसोर्स सफाई कर्मचारी अशोक कुमार की ड्यूटी के दौरान कूड़े के ढेर से निकली कथित जहरीली गैस की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना के बाद वाल्मीकि समाज के लोगों और परिजनों ने मुआवजे एवं नौकरी की मांग करते हुए जिला अस्पताल चौराहे (अहिल्याबाई चौक) पर शव रखकर भीषण जाम लगा दिया। विरोध इतना उग्र था कि पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प भी हुई।
दुर्घटना और प्रारंभिक हंगामा
-
सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीरज बिडला और पूर्व पदाधिकारी चमन लाल ढिगान ने बताया कि दोपहर करीब 11 बजे फायर ब्रिगेड के सामने सड़क से कूड़ा उठाते समय वह कूड़े से निकली गैस की चपेट में आकर अचानक बेहोश हो गए।
-
उन्हें तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
-
अधिकारियों की अनदेखी: परिजनों और वाल्मीकि समाज के लोगों का गुस्सा तब भड़क उठा जब मौत की सूचना के बावजूद कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
-
लोगों ने अस्पताल में हंगामा किया और पुलिस चौकी का घेराव किया।
चौराहे पर जाम, पुलिस से झड़प
नाराज भीड़ ने शव को अहिल्याबाई चौक पर रखकर दोबारा जाम लगा दिया, जिससे शहर की यातायात व्यवस्था ठप हो गई। गुस्साए लोग मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग पर अड़े रहे।
-
प्रशासनिक हस्तक्षेप: सूचना मिलते ही सीओ सिटी सिद्धार्थ के. मिश्रा, नगर मजिस्ट्रेट पंकज प्रकाश राठौर, ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय प्रताप शाही और भारी पुलिस बल मौके पर पहुँचा।
-
नारेबाजी और घेराव: पुलिस चौकी में घंटों चली समझौता वार्ता विफल होने के बाद, लोगों ने चौकी में ही अफसरों का घेराव किया और चेयरपर्सन के खिलाफ भी नारेबाजी की। लोगों ने साफ कहा कि जब तक नौकरी की लिखित घोषणा नहीं होती, तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
हाई फेलियर या गैस? विरोधाभास
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय प्रताप शाही ने बताया कि अशोक को ड्यूटी के दौरान सीने में दर्द की शिकायत हुई थी और उनकी मौत संभवतः हार्ट फेलियर के कारण हुई है। हालांकि, वाल्मीकि समाज का आरोप है कि मौत कूड़े की गैस से हुई।
अंतिम समझौता और आश्वासन
सिटी मजिस्ट्रेट की वाल्मीकि समाज के लोगों के साथ विस्तृत वार्ता के बाद गतिरोध समाप्त हुआ। प्रशासन ने निम्नलिखित आश्वासनों पर सहमति जताई:
-
तत्काल आर्थिक सहायता: पालिका बोर्ड से चार लाख रुपये की तात्कालिक सहायता।
-
चेयरमैन की ओर से मदद: चेयरमैन मीनाक्षी स्वरूप ने अपने स्तर से एक लाख रुपये देने का ऐलान किया।
-
नौकरी का आश्वासन: मृतक परिवार के एक सदस्य को आउटसोर्स में नौकरी देना।
-
वैधानिक लाभ: ठेकेदार फर्म की ओर से मृतक कर्मचारी का रुका हुआ वेतन, पीएफ फंड और अन्य देयकों का तत्काल भुगतान।
-
शासन को प्रस्ताव: मृतक आश्रित को पालिका में स्थायी नौकरी का प्रस्ताव बोर्ड से पास कराकर शासन को भेजा जाएगा।
इन आश्वासनों के बाद गुस्साए लोग शांत हुए और शव को पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
