120 बहादुर’ पर हाईकोर्ट का सख्त रूख: 1962 की रेजांग ला लड़ाई के ‘गलत चित्रण’ पर केंद्र सरकार को दो दिन में बड़ा फैसला करने का आदेश
Haryana News: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फीचर फिल्म ‘120 बहादुर’ की रिलीज पर गंभीर टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार को दो दिनों के भीतर फैसला करने का सख्त निर्देश दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म में 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान हुई रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई का गलत चित्रण किया गया है और इसके चलते फिल्म का प्रमाणपत्र रद्द किया जाना चाहिए।
इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप
सामूहिक शौर्य की ‘अहम सच्चाई’ दबी: याचिकाकर्ता
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह फिल्म 1992 के रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक रिकॉर्ड से उलट जाकर तथ्य प्रस्तुत करती है। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि लड़ाई में शामिल अधिकांश सैनिक हरियाणा के रेवाड़ी क्षेत्र के अहीर (यादव) समुदाय से थे, जिसे फिल्म में उचित रूप से नहीं दर्शाया गया।
‘रेजिमेंट की पहचान मिटाने का प्रयास- संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा
याचिका संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा सहित अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई है। उनका कहना है कि यह मामला सामूहिक सम्मान, ऐतिहासिक सत्य और रेजिमेंट की गरिमा से जुड़ा है। याचिका के अनुसार फिल्म में रेजांग ला की लड़ाई का गलत चित्रण किया गया है, जो सैनिकों के बलिदान के साथ अन्याय है।
मेजर शैतान सिंह को ‘एकल नायक’ दर्शाने पर आपत्ति
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि फिल्म में मेजर शैतान सिंह (PVC) को फिल्म में एकमात्र नायक के रूप में दिखाया गया है, जबकि वास्तविक लड़ाई सामूहिक वीरता का प्रतीक थी। साथ ही उनका नाम बदलकर ‘भाटी’ कर देने पर भी कड़ा ऐतराज जताया गया, जिसे याचिकाकर्ताओं ने “रेजिमेंट के गौरव और समुदाय के योगदान को मिटाने का प्रयास” बताया।
कानूनी उल्लंघनों का गंभीर उल्लेख
याचिका में दावा किया गया कि फिल्म का यह चित्रण सिनेमैटोग्राफ एक्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है, क्योंकि इनमें ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने पर रोक है। साथ ही, भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356 का उल्लेख करते हुए कहा गया कि फिल्म मृत व्यक्तियों के बारे में आपत्तिजनक संकेत देती है।
फिल्म का नाम बदलने या घोषणा करने की मांग
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से मांग की है कि फिल्म को दिया गया प्रमाणपत्र तुरंत रद्द किया जाए और फिल्म का नाम बदलकर ‘120 वीर अहीर’ करने का आदेश दिया जाए। वैकल्पिक रूप से यह घोषणा की जाए कि फिल्म पूरी तरह काल्पनिक है और वास्तविक घटनाओं पर आधारित नहीं है, ताकि जनता को गुमराह होने से रोका जा सके।
