यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे पर दिल्ली हाई कोर्ट सख्त, एमपी सरकार को दी रिपोर्ट और सुरक्षित निपटान स्थल की खोज के निर्देश

Madha Pradesh News: दिल्ली हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को यूनियन कार्बाइड कंपनी के जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण (disposal) से संबंधित विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि सरकार इस बात की भी जानकारी दे कि कचरे से निकली राख को कहाँ और किस प्रक्रिया से सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जा रहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने एमपी सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसा सुरक्षित स्थान तलाशे जहां किसी प्रकार की रिहायश न हो, ताकि किसी भी प्रकार के जनस्वास्थ्य पर प्रभाव न पड़े।
कोर्ट की डबल बेंच ने दिए निर्देश
सुरक्षित निपटान स्थल की खोज पर भी कोर्ट का जोर
कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार इस बात पर विचार करे कि ऐसा कोई वैकल्पिक व सुरक्षित स्थान खोजा जाए जहाँ आबादी न हो और राख के निपटान से पर्यावरण या मानव स्वास्थ्य को खतरा न पहुंचे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जनहित से जुड़े इस मुद्दे पर कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और अगली सुनवाई तक सरकार को अपना विस्तृत पक्ष प्रस्तुत करना होगा।
2004से लंबित है यह जनहित याचिका
यह मामला कोई नया नहीं है। वर्ष 2004 में आलोक प्रताप सिंह नामक नागरिक ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की थी। याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद भी अदालत ने इस मामले को संज्ञान याचिका के रूप में जारी रखा। यह मामला भोपाल गैस त्रासदी के बाद बचे जहरीले अवशेषों से जुड़ा है, जिसने वर्षों से स्थानीय पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है।
राख में रेडियो एक्टिव और मरकरी तत्वों की मौजूदगी पर चिंता
इस दौरान एक अन्य जनहित याचिका भी दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि यूनियन कार्बाइड की राख में रेडियो एक्टिव पदार्थ मौजूद हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, इस राख में मरकरी (पारा) जैसे तत्व भी सक्रिय हैं, जिन्हें नष्ट करने की तकनीक सिर्फ जापान और जर्मनी जैसे देशों के पास है। अदालत में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता खालिद नूर फखरुद्दीन ने पैरवी की।
सरकार की ओर से दी गई पिछली रिपोर्ट का विवरण
राज्य शासन की ओर से पूर्व में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया था कि पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का सफलतापूर्वक विनिष्टीकरण किया जा चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रक्रिया से 850 मीट्रिक टन राख और अवशेष एकत्र हुए हैं। अब यह राख एमपीपीसीबी से सीटीओ मिलने के बाद अलग लैंडफिल सेल में नष्ट की जाएगी।
अगली सुनवाई 20 नवंबर को
दिल्ली हाई कोर्ट ने पूरे मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को तय की है। तब तक सरकार को न केवल विशेषज्ञों की जांच रिपोर्ट बल्कि राख के निपटान के लिए सुरक्षित स्थल की जानकारी भी प्रस्तुत करनी होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला न केवल पर्यावरणीय सुरक्षा, बल्कि जनस्वास्थ्य और मानवाधिकारों से भी जुड़ा हुआ है।