आगरा में यमुना खतरे के निशान से करीब 3 फीट ऊपर, ताजमहल की दीवार से यमुना का पानी टकराया

आगरा। पिछले दिनों पहाड़ी इलाकों, दिल्ली आदि क्षेत्रों में भारी वर्षा और हथिनी कुंड,ओखला और गोकुल बैराज से पानी छोड़ने के बाद आगरा में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से करीब करीब 3 फुट ऊपर हो गया है। यमुना के किनारे बसे गाँवों में पानी घुस गया है, और खेत जलमग्न हो गये हैं। यमुना नदी का पानी ताजमहल की दीवार से टकराने लगा है। प्रभावित लोगों को दूसरी जगह ले जाया गया है और बाढ़ चौकियो को अलर्ट कर दिया गया है। शहरी क्षेत्र में भी लगातार बारिश और यमुना नदी के लगातार बढ़़ रहे जल स्तर से निचले इलाकों में पानी भर गया है। आगरा नगर में यमुना के किनारे दयालबाग, एत्मादौला क्षेत्र के कुछ मोहल्ले के संपर्क मार्ग में पानी से डूब गए हैं।
यमुना में खतरे का निशान 495 फीट पर है जबकि इस समय खतरे के निशान से लगभग 3 फीट ऊपर बह रही है। यमुना की बाढ़ से आगरा के एत्मादपुर, सदर, फतेहाबाद और बाह तहसील क्षेत्र में 40 से अधिक गांव प्रभावित हैं। प्रशासन ने इनमे से 18 गाँवों कों चिह्नित किया है जो बाढ़ की स्थिति में सबसे पहले प्रभावित होते हैं, यहां लोगों को घर छोड़ना पड़ सकता है। जिनमे नगला पैमा, नगला तल्फी, नाहरगंज रहनकला, बुढ़ाना, नगला कटा, शाहिदपुर, वीरपुरा, पारौली, बिचौला, गिदरौन, भरापुरा, नगला धीमर, गांव शामिल हैं। यमुना के किनारे बसे गाँवों में
किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। खेतो में बनी कई झोपड़ियां भी पानी में समा चुकी हैं।
यमुना के बढे जलस्तर से धार्मिक और अंतिम संस्कार के कार्य भी प्रभावित हैं, दयालबाग क्षेत्र में पोइया घाट स्थित शमशान घाट में पानी भर गया है और केवल एक चितास्थल को छोड़कर बाकी सभी डूब गए हैं। बल्केश्वर घाट का काली भैरा मंदिर जलमग्न हो चुका है। ताजगंज का मोक्षधाम पूरी तरह डूब चुका है। ताजमहल के पास चंद्रशेखर पार्क में पानी भर गया है। दशहरा घाट की सीढ़ियां और प्लेटफार्म भी पानी में डूब गए हैं। यमुना का पानी ताजमहल की बाउंड्री तक पहुंच चुका है। 1978 में यमुना नदी में आई बाढ़ में यमुना का जलस्तर 508 फीट तक पहुंच गया था।
ए एस आई की ओर से आगरा ताजमहल पर तैनात वरिष्ठ पर्यवेक्षण सहायक प्रिंस बाजपेई का कहना है कि हालांकि यमुना नदी का पानी ताजमहल की दीवार तक आ गया है लेकिन ताजमहल की नींव को इससे खतरे की संभावना नहीं है क्योंकि ताजमहल की नींव में जिस लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है वह पानी में भी नींव को मजबूती देती है फिर भी दीवारों में सीलन का खतरा हो सकता है इस संबंध में रिपोर्ट तैयार कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजी जा रही है, तदनुसार कार्रवाई की जाएगी।
ए डी एम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला ने बताया कि प्रशासन ने लोगों के नदी किनारे जाने और नाव संचालन पर रोक लगा दी है। प्रशासन पूरी तरह चौकन्ना है। बाढ़ चौकियों को सतर्क कर दिया गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, पशुधन विभाग, राजस्व एवं अन्य संबंधित विभागों को पूरी तैयारी रखने के लिए निर्देशित कर दिया गया है। प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है ।