दिल्ली ब्लास्ट: जगदीश कटारिया नहीं भूल पाए बेटे का आखिरी कॉल, न्याय की अपील
नई दिल्ली। 10 नवंबर की शाम उन परिवारों के लिए पहाड़ बनकर टूटी, जिन्होंने दिल्ली ब्लास्ट में अपनों को खो दिया। उनकी आंखों में अपनों के खोने का दर्द बहते आंसुओं से साफ झलक रहा है। दिल्ली ब्लास्ट में बेटे अमर कटारिया को खोने वाले वाले जगदीश कटारिया वह आखिरी कॉल नहीं भूल पा रहे हैं, जिसमें बेटे ने कहा था "पापा मैं बस 10 मिनट में घर पहुंच रहा हूं।" बुजुर्ग जगदीश की सरकार से एक भी अपील है कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, जिससे आगे कभी किसी का बेटा यूं ब्लास्ट में न मारा जाए।
अस्पताल की इमरजेंसी में गए। अस्पताल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सभी आए थे। रात भर अस्पताल के बाहर खड़े रहे, सुबह रिस्पॉन्स मिला। सुबह बेटे की बॉडी लेकर आए। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा 34 साल का था। चार साल पहले शादी हुई थी। एक पोता है। उन्होंने कहा कि मेरे बेटे को न्याय मिले। सरकार को न्याय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद फैल रहा है। सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। धमाके में मारे गए जुम्मन की बहन ने कहा कि मेरा भाई लाल किले के पास रिक्शा चलाने गया था और उसके बाद उसका कोई पता नहीं चला। मेरे भाई के बच्चे बहुत छोटे हैं और उसकी पत्नी दिव्यांग है। वे किराए के मकान में रहते हैं और हमारी बुजुर्ग मां के अलावा उनका भरण-पोषण करने वाला कोई नहीं है।
हमने अस्पताल, पुलिस स्टेशन, हर जगह तलाश किया लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की। डॉक्टर भी देखने नहीं दे रहे थे। जुम्मन की बहन ने कहा कि भाभी दिव्यांग और मां बूढ़ी है। सरकार बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी ले। पड़ोसियों ने कहा कि जब शास्त्री पार्क शिकायत देने गए। बाद में कपड़ों से पहचान हुई थी। सरकार से अपील करते हैं कि पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द आर्थिक सहायता दी जाए।
