लातूर में आरक्षण के नाम पर फर्जी सुसाइड नोट का खुलासा: पुलिस ने धोखाधड़ी की पोल खोली

Maharashtra News: महाराष्ट्र के लातूर जिले में हाल ही में पुलिस ने आरक्षण और मुआवजे की मांग को लेकर सामने आए फर्जी सुसाइड नोटों का भंडाफोड़ किया है। पुलिस की जांच में यह पता चला कि कई मृतकों के नाम पर लिखे गए सुसाइड नोट वास्तव में उनके परिजनों या परिचितों ने बनाए थे। पुलिस अधीक्षक अमोल तांबे ने बताया कि हैंडराइटिंग मिलान, सीसीटीवी फुटेज और फोरेंसिक जांच से यह धोखाधड़ी उजागर हुई।
हैंडराइटिंग और फोरेंसिक जांच से सामने आई धोखाधड़ी

अहमदपुर तालुका का मामला
26 अगस्त को अहमदपुर तालुका में बालिराम श्रीपति मुले ने जहर खा लिया था। मौके से मिले नोट में मराठा आरक्षण की मांग की गई थी। पुलिस जांच में सामने आया कि यह नोट उनके चचेरे भाई संभाजी उर्फ धनाजी मुले ने लिखा था। इस खुलासे ने आरक्षण के नाम पर गढ़ी जा रही झूठी कहानियों पर सवाल खड़े कर दिए।
अन्य मामलों में भी फर्जीवाड़ा सामने आया
13 सितंबर को निलंगा तालुका के शिवाजी वल्मिक मेले की करंट लगने से मौत हुई थी। घर से मिले नोट में महादेव कोली समुदाय को जाति प्रमाण पत्र न मिलने की शिकायत लिखी थी। 14 सितंबर को चाकूर तालुका के अनिल बालिराम राठौड़ की भी करंट लगने से मौत हुई, जिसमें बंजारा समुदाय के आरक्षण की मांग का नोट मिला। सभी नोट मृतकों द्वारा नहीं लिखे गए थे, बल्कि उनके परिवार या परिचितों ने बनाए थे।
पुलिस ने गुमराह करने वालों के खिलाफ दर्ज किया मामला
पुलिस ने कहा कि झूठे दस्तावेज न केवल प्रशासन बल्कि समाज को भी गुमराह कर रहे थे। ऐसे मामलों में संबंधित लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। जांच की जिम्मेदारी पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारियों को सौंपी गई है।
पुलिस की चेतावनी
पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई भी व्यक्ति झूठे सबूतों के जरिए सरकार या समाज को गुमराह करने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लातूर पुलिस का यह कदम न केवल धोखाधड़ी को उजागर करता है बल्कि भविष्य में ऐसे फर्जी दस्तावेज बनाने वालों के लिए चेतावनी भी है।