ऋषिकेश में रामलीला पर संकट, कलाकारों ने दी गिरफ्तारी, राजनीतिक दबाव का आरोप

ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेश की सुभाष बनखंडी श्रीरामलीला कमेटी में 70 साल पुरानी परंपरा पर संकट मंडरा रहा है। राजनीतिक दबाव के आरोप में रामलीला के कलाकारों पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए हैं, जिससे विवाद सड़क से कोतवाली तक पहुंच गया। राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता और हनुमान के वेश में कलाकारों ने कोतवाली पहुंचकर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए और अपनी गिरफ्तारी की पेशकश कर दी। समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हस्तक्षेप की मांग की है।
श्रीरामलीला कमेटी के परिसर में दो पक्षों के बीच रामलीला मंचन को लेकर विवाद हो गया, जो पुलिस तक पहुंचा। कलाकारों और कमेटी सदस्यों के खिलाफ दर्ज मुकदमों से नाराज रामलीला के सभी पात्रों ने वेशभूषा धारण कर कोतवाली में प्रदर्शन किया। उन्होंने झूठे मुकदमों का आरोप लगाते हुए अपनी गिरफ्तारी की मांग की। प्रदर्शन के दौरान कई घंटों तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला, जिसमें विभीषण की तबीयत बिगड़ गई और उसे राजकीय अस्पताल पहुंचाया गया। रावण का पात्र खुद को दहन करने की अनुमति मांगता नजर आया और मुकदमे हटाने की गुहार लगाई। रावण ने सीएम धामी से मिलने की इच्छा भी जताई।
राम बरात और रावण दहन पर रोक का आरोप
समिति के पदाधिकारियों का आरोप है कि कुछ राजनीतिक ताकतों के दबाव में राम बरात निकालने और दशहरे पर रावण दहन की अनुमति नहीं दी जा रही। बार-बार झूठे मुकदमे दर्ज कर रामलीला को रोकने की साजिश रची जा रही है। एक पदाधिकारी ने कहा, "70 साल पुरानी परंपरा को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि अनुमति न मिली तो आंदोलन और बड़ा होगा।" स्थानीय लोगों ने भी समर्थन देते हुए कहा कि यह रामलीला पूरी होनी चाहिए।
सीएम से न्याय की अपील
कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मामले में दखल देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार जो खुद राम भक्ति का दावा करती है, वह इस परंपरा की रक्षा करे। यह विवाद नवरात्रि के दौरान धार्मिक आयोजनों पर सवाल खड़े कर रहा है, जहां एक ओर परंपरागत रामलीला को चुनौती मिल रही है, वहीं अन्य जगहों पर भी ऐसे विवाद सामने आ रहे हैं। पुलिस ने प्रदर्शन को शांतिपूर्ण रखा, लेकिन मामले की जांच शुरू कर दी है।