मुजफ्फरनगर में सरवट गेट शिव मंदिर विवाद: शिवसेना शिंदे गुट ने लगाया संगठन के नाम का दुरुपयोग करने का आरोप, दुकान हड़पने का प्रयास

प्रकाश चौक स्थित शिवसेना कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में बिट्टू सिखेड़ा ने कहा कि मंदिर विवाद का असली कारण पंडित को हटाना या पुजारी परिवार पर दबाव नहीं, बल्कि कुछ दुकानदारों द्वारा 100-100 रुपये के मामूली किराए पर वर्षों से दुकानें चलाना और किराया न बढ़ाने से जुड़ा है। इन दुकानदारों ने शिवसेना यूबीटी गुट का सहारा लेकर अपने निजी स्वार्थ साधने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में पीपल के पेड़ को काटने की अफवाह भी गलत थी, जो आज भी हरी-भरी अवस्था में खड़ा है। सिखेड़ा ने लोगों से अपील की कि वे असली और नकली शिवसैनिकों में फर्क समझें और भ्रमित करने वाली गतिविधियों से सावधान रहें। जो कोई भी पार्टी नाम का दुरुपयोग करेगा, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मंदिर कमेटी से बातचीत के बाद सिखेड़ा ने स्पष्ट किया कि न तो पंडित जी को हटाने का कोई इरादा है और न ही पुजारी परिवार के खिलाफ कोई जबरन कार्रवाई हो रही है। विवाद केवल किराया वृद्धि को लेकर है, जहां दुकानदार कम राशि देकर फायदा उठा रहे थे। कुछ कथित शिवसैनिकों ने धरना देकर दुकानें हड़पने और धन उगाही की कोशिश की, जो हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। सिखेड़ा ने यूबीटी गुट के नेताओं पर हिंदू भावनाओं को आहत करने वाले बयान देने का आरोप लगाया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिखेड़ा ने एक अन्य मुद्दे पर भी बात की। उन्होंने बताया कि कुछ आशा कार्यकर्ता कार्यालय पहुंचीं और किसान नेता शाह आलम द्वारा कथित दुर्व्यवहार की शिकायत की। शिवसेना आशा बहनों के सम्मान के साथ खड़ी है और किसान नेता के बयान की निंदा करती है। सिखेड़ा ने कहा कि आशा बहनें ईमानदारी से काम करें, तो संगठन उनका साथ देगा। लेकिन यदि कोई उत्पीड़न या अवैध वसूली में लिप्त पाई गई, तो प्रशासनिक कार्रवाई कराने से पीछे नहीं हटेंगे।
शिवसेना में 2022 में हुए विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे गुट को चुनाव आयोग ने आधिकारिक पार्टी नाम और धनुष-बाण चिन्ह आवंटित किया था, जबकि उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना (यूबीटी) नाम मिला। यह विवाद महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित करने वाला था, जहां शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई। मुजफ्फरनगर जैसे क्षेत्रों में भी गुटबाजी का असर दिख रहा है, जहां नाम के दुरुपयोग के आरोप लग रहे हैं।
इस दौरान शिवसेना महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष पूनम चौधरी, संजीव वर्मा, देवेंद्र चौहान, ओमकार पंडित, आनंद प्रकाश गोयल, शैलेंद्र शर्मा आदि पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। यह विवाद मंदिर प्रबंधन और राजनीतिक दखलंदाजी के बीच संतुलन की मिसाल बन सकता है, जहां हिंदुत्व के नाम पर स्वार्थ साधने की कोशिशें उजागर हो रही हैं।