गाड़ियों पर जाति सूचक स्लोगन हटाओ अभियान: हाईकोर्ट के आदेश पर गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस ने सैकड़ों वाहनों का चालान किया

अभियान के दौरान हापुड़ चुंगी चौराहे पर एडीसीपी ट्रैफिक सच्चिदानंद अपनी टीम के साथ मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि यह अभियान शहर के सभी इलाकों में चल रहा है और आगे भी लगातार जारी रहेगा। माननीय न्यायालय के आदेश के तहत गाड़ियों पर लिखे जाति सूचक स्लोगन को तत्काल हटवाया जा रहा है, जबकि उल्लंघन करने वाले वाहनों का मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान किया जा रहा है। एडीसीपी ने कहा, "यह कदम सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है। हम ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करेंगे।"
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद दीवाकर ने प्रवीण चेत्री बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में 16 सितंबर को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि में वाहनों पर जाति के प्रतीक, स्लोगन या चेतावनी लिखना आम है, जो संवैधानिक मूल्यों जैसे समानता और बंधुता का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने राज्य सरकार और डीजीपी को निर्देश दिया कि पुलिस मैनुअल में संशोधन कर पुलिस रिकॉर्ड में जाति का उल्लेख बंद किया जाए (एससी/एसटी एक्ट के मामलों को छोड़कर)। साथ ही, सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स में संशोधन कर वाहनों पर जाति आधारित स्लोगन प्रतिबंधित करने की सिफारिश की गई।
कोर्ट ने सोशल मीडिया पर जाति गौरव को बढ़ावा देने वाले कंटेंट पर भी कार्रवाई और युवाओं के लिए मीडिया साक्षरता अभियान चलाने का सुझाव दिया। इस फैसले को "जातिवाद के खिलाफ ऐतिहासिक कदम" बताया जा रहा है।
गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस ने आज सुबह से ही हापुड़ चुंगी, मेरठ रोड, राजनगर एक्सटेंशन और अन्य प्रमुख चौराहों पर चेकिंग शुरू की। अभियान में लगभग 200 से अधिक वाहनों की जांच की गई, जिनमें से 50 से ज्यादा पर जाति सूचक स्लोगन पाए गए। इन स्लोगनों को मौके पर ही मिटाया गया या स्टिकर हटाए गए। इसके अलावा, 30 वाहनों से अवैध हूटर हटाए गए और 40 पर ब्लैक फिल्म के कारण चालान जारी हुए। एक वाहन मालिक ने बताया, "पुलिस ने स्लोगन हटाने में सहयोग किया, लेकिन चालान से बचने के लिए तुरंत कार्रवाई की।"
ट्रैफिक पुलिस ने वाहन चालकों को जागरूक करने के लिए पंपलेट भी बांटे, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश और ट्रैफिक नियमों की जानकारी दी गई। एडीसीपी सच्चिदानंद ने कहा कि यह अभियान पूरे जनपद में 15 दिनों तक चलेगा और उल्लंघन पर जुर्माना 500 से 5000 रुपये तक लगाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 22 सितंबर को हाईकोर्ट के आदेश पर राज्यव्यापी निर्देश जारी किए, जिसमें पुलिस रिकॉर्ड, सार्वजनिक स्थानों, वाहनों और राजनीतिक रैलियों में जाति उल्लेख प्रतिबंधित किया गया। अब एफआईआर और गिरफ्तारी मेमो में आरोपी की पहचान माता-पिता के नाम से की जाएगी। वाहनों पर जाति स्टिकर लगाने वालों को मोटर व्हीकल एक्ट के तहत दंडित किया जाएगा। ग्रामीण इलाकों में जाति आधारित बोर्ड भी हटाने के आदेश हैं। यह कदम योगी सरकार की 'सामाजिक समरसता' नीति को मजबूत करेगा।