यूपी में जातिगत भेदभाव खत्म करने बड़ा फैसला: FIR में जाति नहीं लिखी जाएगी, वाहनों पर जाति आधारित स्टिकर हटवाएं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने जातीय भेदभाव को खत्म करने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब पुलिस रिकॉर्ड, नोटिस बोर्ड, गिरफ्तारी मेमो सहित सभी सरकारी दस्तावेजों में आरोपी या व्यक्ति की जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही आरोपी के पिता के नाम के साथ माता का नाम भी दर्ज किया जाएगा, ताकि लैंगिक समानता को बढ़ावा मिले।
मुख्य निर्देश:
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जाति आधारित बोर्ड और बैनर हटाए जाएं
कस्बों और शहरों में लगे ऐसे बोर्ड और बैनर, जिनमें किसी जाति का महिमामंडन किया गया हो, उन्हें तुरंत हटाया जाएगा। भविष्य में ऐसे बोर्ड लगाने पर कड़ी कार्रवाई होगी। -
गाड़ियों पर जाति लिखने पर चालान होगा
सड़क किनारे वाहनों पर 'जाट हूं', 'ठाकुर साहब', 'पंडित जी' जैसे जातिगत स्लोगन लिखे दिखते हैं। अब मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ऐसे वाहनों का चालान किया जाएगा। पुलिस को आदेश है कि ऐसे सभी स्टिकर और नारे हटवाए जाएं। -
FIR, गिरफ्तारी मेमो, बरामदगी रिपोर्ट में जाति नहीं लिखी जाएगी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने FIR और अन्य दस्तावेजों में जाति लिखने पर आपत्ति जताई है और कहा है कि यह संवैधानिक नैतिकता को कमजोर करता है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि पुलिस रिकॉर्ड से जाति संबंधित कॉलम हटाया जाए। -
युवाओं में जातिवाद विरोधी जागरूकता बढ़ाई जाएगी
इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर युवाओं में जातिवाद विरोधी जागरूकता बढ़ाने की अपील की गई है। इसके अलावा नागरिक शिकायत के लिए पोर्टल और मोबाइल ऐप बनाने की भी सिफारिश की गई है।
2023 में एक मामले में पुलिस ने कई आरोपियों की जाति लिखी थी, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि FIR और जब्ती मेमो में जाति लिखना गलत प्रथा है और लोकतंत्र के लिए खतरा है। इसी के बाद यूपी सरकार ने यह नई नीति लागू की है।