ओम प्रकाश राजभर की SBSP का बड़ा ऐलान: बिहार की 153 सीटों पर लड़ेगी चुनाव, NDA से बनाई दूरी

बलिया/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल में नया मोड़ आ गया है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) ने बिहार की 243 में से 153 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है। ओम प्रकाश राजभर के इस फैसले ने भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की चिंता बढ़ा दी है, खासकर तब जब हाल ही में बिहार में एनडीए की सीट बंटवारे की घोषणा हुई है।

SBSP ने सोमवार को ऐलान किया कि वह बिहार की 153 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी और मंगलवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करेगी। अरविंद राजभर ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी का मुख्य उद्देश्य चुनाव जीतना नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक और सामाजिक उपस्थिति दर्ज कराना है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, SBSP को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर से 5 सीटों का ऑफर मिला था, जिसे पार्टी ने ठुकरा दिया। इसके अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और तेज प्रताप यादव से भी बातचीत हुई, लेकिन SBSP बिहार में अपने दम पर चुनाव लड़ने को लेकर प्रतिबद्ध नजर आई। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि वह बिहार में किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है और इस चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी।
SBSP का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब बिहार में एनडीए ने सीट बंटवारे का फॉर्मूला घोषित किया है, जिसमें बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास), हिंदुस्तान आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोकमोर्चा शामिल हैं। SBSP को इस बंटवारे में कोई जगह नहीं मिली, जिससे पार्टी ने नाराज होकर अलग रास्ता अपनाया है।
SBSP ने हालांकि साफ किया है कि उत्तर प्रदेश में वह एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी, लेकिन बिहार में उसकी रणनीति पूरी तरह स्वतंत्र और अलग होगी। पार्टी का मानना है कि बिहार में उसका सामाजिक आधार मौजूद है और वह इस आधार को मज़बूत करने की दिशा में काम कर रही है।
बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों—6 और 11 नवंबर—में संपन्न होंगे और मतगणना 14 नवंबर को होगी। इस बार मुकाबला एनडीए, इंडिया गठबंधन और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के त्रिकोणीय संघर्ष में बदलता दिख रहा है। SBSP के मैदान में उतरने से इस समीकरण में नया मोड़ आ सकता है, जिससे कुछ सीटों पर एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब देखना यह होगा कि ओम प्रकाश राजभर की यह चाल बिहार की राजनीति को किस दिशा में मोड़ती है।